सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर कर्मचारी,केन्द्र सरकार ने दी ये कड़ी चेतावनी

खबरें अभी तक। सरकार की नीतियों की खिलाफत में आज भारत बंद रहेगा। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को साफ शब्दों में कहा है कि यदि वह आज मतलब आठ जनवरी को हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका ‘नतीजा’ भुगतना पड़ेगा। केंद्र सरकार की नीतियों में श्रम सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निजीकरण के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल रने का फैसला किया है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों सहित अन्य कर्मचारी यूनियनों ने श्रमिकों और कर्मचारियों को आठ जनवरी को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ हड़ताल में शामिल नहीं होंगे। यूनियनों ने अपनी 12 सूत्रीय मांगों के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। इनमें न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे शामिल किए गए हैं।

वहीं आपको जानकारी दें दें कि सरकारी आदेश में साफ-साफ लिखा है कि अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे उसके नतीजे भुगतने होंगे। वेतन काटने के सात ही उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाने की बात कही जा रही है। केंद्र सरकार के सभी विभागों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि मौजूदा निर्देश किसी भी सरकारी कर्मचारी को हड़ताल में शामिल होने से रोकता है। साथ ही वह व्यापक रूप से ‘आकस्मिक’ अवकाश भी नहीं ले सकेंगे। इसमें कहा गया है कि संघ या यूनियन बनाने का अधिकार हड़ताल या आंदोलन का अधिकार नहीं दिया जाता है।

मंत्रालय ने कहा, ”इस तरह का कोई सांविधिक प्रावधान नहीं है जो कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार देता हो।” आदेश में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय के कई फैसलों में भी कहा गया है कि हड़ताल पर जाना एक अनुशासनहीनता है। इसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। आदेश में सभी अधिकारियों से आग्रह किया गया है कि वे अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का ‘आकस्मिक या किसी अन्य तरह का अवकाश मंजूर नहीं करें। यह आदेश केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को भी भेजा गया है। सीआईएसएफ से कड़ी निगरानी सुनिश्चित करने को कहा गया है।