जानिए क्या है एनपीआर, एनआरसी और सीएए में फर्क

ख़बरें अभी तक। एनपीआर-( राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ) इसका इस्तेमाल सरकार योजनाएं लागू करने के लिए करती हैं। एनपीआर में लोगों द्वारा दी गई सूचना को ही सही माना जाता हैं। यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होता। बता दें कि 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को एनपीआर में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है। बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में 6 महीने से रह रहा है तो उसे भी एनपीआर में दर्ज होना है।

एनआरसी-( राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) इसके जरिए देश में अवैध रुप से रह रहे प्रवासियों की पहचान की जाती है। इसके लिए लोगों से पहचान के दस्तावेज मांगे जाते हैं। हाल ही में असम में एनआरसी लागू हुई है।

सीएए-( नागरिकता संशोधन कानून ) इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध लोगों को नागरिकता दी जाएगी।