ऊना में तीन सालों में सड़क दुर्घटनाओं के 820 मामले हुए दर्ज

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना में सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे है। आए दिन इन सड़क हादसों में लोगों की कीमती जाने जा रही है और पुलिस प्रशासन हादसों पर नियंत्रण करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के दावे ही कर रहा है। जिला ऊना में हुए सड़क हादसों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो तीन सालों में सड़क हादसों के 820 मामले पुलिस के पास दर्ज हुए है। तीन सालों में 393 लोग इन सड़क हादसों में अपनी गंवा चुके है जबकि 1375 लोग इन हादसों में चोटिल हुए है।

जिला ऊना में पेश आये सड़क हादसों में अधिकतर हादसे तेज रफ्तारी के कारण हुए है जबकि कई लोगों को मालवाहक वाहनों में सवारी करना भी भारी पड़ा है। इसे बिडंबना ही कहेंगे कि भारत में हर साल करीब साढ़े तीन लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं, जोकि एक चिंताजनक विषय है। देश के इन आंकड़ों के हिसाब से अगर जिला ऊना में सड़क हादसों की बात की जाये तो जिला ऊना में भी सड़क हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे है।

जिला ऊना में पिछले तीन सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2017 में 292 सड़क हादसों में 130 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है और 471 लोग इन हादसों में चोटिल हुए है। वहीं वर्ष 2018 में सड़क हादसों के मामलों में थोड़ी सी कमी जरूर आई लेकिन 2018 में दुर्घटनाओं के 283 मामले दर्ज हुए, जिसमें 139 लोगों की जान गई और 502 लोग चोटिल हुए। वहीँ इस बर्ष 11 माह में ही सड़क हादसों के 245 मामले सामने आ चुके है। जिसमें 124 लोगों की जान जा चुकी है और 402 लोग घायल हो चुके हैं।

डीएसपी ऊना की माने तो सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस लगातार प्रयासरत है और यातायात नियमों की अवहेलना करने वालों पर कड़ी कार्रवाई भी अमल में लाइ जा रही ही। सरकार द्वारा यातायात नियमों की जागरूकता फैलाने के लिए सड़क सुरक्षा समितियों का भी गठन किया गया है। रोड सेफ्टी क्लब ऊना के अध्यक्ष मानते है कि बढ़ते सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तारी है।

वहीं सड़कों पर अतिक्रमण और सड़कों पर ही बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े करना भी सड़क हादसों को न्यौता देते है। रोड सेफ्टी क्लब के अध्यक्ष सुभाष शर्मा की माने तो क्लब द्वारा यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जायेगा ताकि सड़क हादसों पर लगाम लग सके।