पंचायत में धांधली को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण

खबरें अभी तक। सिरमौर ज़िला के शिलाई विकास खंड की बांदली-ढाढ़स पंचायत में हुए विकास कार्यों पर स्थानीय ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना हैं की पंचायत में दर्जनों कार्य ऐसे हुए हैं। जिनका पैसा ख़र्च कर दिया गया हैं मगर ज़मीन पर कोई भी कार्य नहीं किया गया हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि विकास खंड अधिकारी को मामले की शिकायत दी तथा उनके द्वारा जाँच करने की बात कही गई मगर शिकायत के बाद 3 महीनों से ज़्यादा का समय बितने पर भी विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है तथा जाँच के नाम पर ग्रामीणों को गुमराह किया जा रहा हैं। ग्रामीणों का कहना हैं की अधिकारियों के द्वारा आरोपियों को बचाने का कार्य किया जा रहा हैं। हालाँकि भूख हड़ताल पर बैठे ग्रामीण पंचायत प्रधान के निलम्बन की माँग कर रहे हैं और जब तक विभाग द्वारा निष्पक्ष कार्यवाही नहीं की जाती है तब तक आमरण अनशन पर बैठने की बात कह रहे हैं।

क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे बांदली-ढांढस पंचायत के स्थानीय निवासियों का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायत में भृष्टाचार चरम पर है। बीपीएल की सूचि में उन लोगों को सम्मिलित किया गया है, जो संपन्न परिवार है और जो पात्र परिवार है तथा गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे है उन लोगों को बीपीएल सूची से बहार किया गया है। पंचायत द्वारा कई लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे निकाले गए है जिसके चलते मजबूरन पंचायत के लोगों को सांकेतिक भूख हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

मामले पर शिलाई के विकास खंड अधिकारी कँवर सिंह ने बताया की बांदली-ढाढ़स पंचायत में अनियमित्ताओ के शिकायत की जाँच पुरी कर ली गई हैं। उपरोक्त पंचायत की जाँच के साथ-साथ कुछ अन्य पंचायतों के विकास कार्यों की जाँच भी की टीम द्वारा की जा रही थी जिस वजह से थोड़ा समय लगा। अनशन पर बैठे लोगो से बात की गई है इसके बाद भी अगर ये लोग नहीं मानते है तो मजबूरन इन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएँगी।

सिरमौर ज़िला के दुर्गम क्षेत्र शिलाई में भूखहड़ताल पर बैठे बांदली ढांढस पंचायत के ये ग्रामीण प्रदेश सरकार के भृष्टाचार मुक्त भारत के दावों की पोल खोलते नजर आ रहे है। बहरहाल इन ग्रामीणों की शिकायत में कितनी सच्चाई है इसका पता तो विभागीय कार्यवाही के बाद ही चल पाएगा। मगर दिसंबर महीने की इस कड़कड़ाती ठण्ड में ग्रामीणों का ऐसे बीडीओ दफ्तर के बाहर धरने पर बैठना इस बात की और जरूर इशारा कर रहा है कि क्षेत्र की पंचायतों में सब ठीक ठाक नहीं है।