नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध पर विराम लगाने के लिए सरकार कर सकती है ये काम,पढ़िए ये खबर

खबरें अभी तक। नागरिकता कानून के खिलाफ पूर्वोत्तर में विरोध थामने के लिए केंद्र सरकार असम में छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों का दायरा बढ़ाने सहित कई विकल्पों पर विचार करने में लगी है। बता दें कि असम में मणिुपर की तर्ज पर इनर लाइन परमिट की अनुमति देने की मांग पर अभी सरकार द्वारा मंथन हो रहा है। छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों और इनर परमिट वाले इलाकों में नया कानून लागू नहीं किया जाएगा।

साथ ही गृह मंत्रालय ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि असम सहित पूर्वोत्तर में नागरिकता कानून से स्थानीय पहचान, उनकी भाषा संस्कृति और संसाधनों पर उनके स्वाभाविक हक को कोई खतरा नहीं होगा। सरकार कानून के नियम तैयार करते समय ऐसे सभी विषयों पर गौर फरमाएगी। सूत्रों के मुताबिक सरकार नागरिकता कानून पर पूर्वोत्तर की चिंताओं को लेकर लचीला रुख अपना रही है। स्थानीय स्तर पर प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि उनकी समस्याओं को ध्यान में रखकर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। छठीं अनुसूची में शामिल इलाकों और इनर परमिट वाले इलाकों में नया कानून लागू नहीं किया जाएगा।

सीमित अधिकार देने के विकल्प भी मौजूद- इतना ही नही बल्कि एक विकल्प यह भी है कि कानून की नियमावली तैयार करते हुए कुछ ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे की नए कानून के तहत नागरिकता हासिल करने वालों को सीमित अधिकार उपलब्ध कराए जा सकें। भाषाई संरक्षण के लिए भी सरकार द्वारा नए कदम उठाए जाने की संभावना है। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,असम में बोडो, कार्बी और डिमासा इलाके संविधान की छठीं अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। जिससे साफ है कि वहां कानून लागू ही नहीं होगा। जहां तक असम के लोगों की बात की जाए तो उनके लिए नई योजनाओं और संरक्षण के अन्य तरीकों पर मंथन जारी है।