चंडीगढ़ में फुटपाथ पर सो रहे ग़रीबों के लिए अभी तक नहीं है रैनबसेरा

ख़बरें अभी तक। पहाड़ों में बर्फ के कारण मैदानी इलाकों में रात के तापमान में हो रही गिरावट सर्दी बढ़ा रही है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने अभी तक सड़कों पर सो रहे बेसहारा लोगों के प्रति संवेदना नहीं दिखाई है। कहने को चंडीगढ़ स्मार्ट है,लेकिन अभी तक सड़कों पर फुटपाथ पर सो रहे ग़रीबों के लिए अभी तक रैनबसेरा नहीं बनवाए है।

सिटी ब्यूटिफ़ुल चंडीगढ़ में कई प्रवासी लोग अपनी रोज़ी रोटी कमाने के लिए आते है जो कई सालो से मार्केट्स के बाहर बरामदे में सोते है कई लोगों के पास तो कम्बल भी नहीं है बोरी ऊपर ओढ़ कर सो रहे है। चाहे गर्मी हो,बारिश हो लेकिन यह लोग क्यूंकि मज़दूरी करते है इसलिए इनकी कमाई इतनी नहीं होती की यह लोग एक किराए का घर ख़रीद सके।

हालांकि इन लोगों को सर्दी के मौसम में उम्मेद होती है कि प्रशासन रैन बसेरा लगाकर दो महीने उन्हें ठंड से बचाकर सोने दे लेकिन दिसंबर महीना भी आ गया है पर रैन बसेरा नहीं है और यह लोग ठंड में ठिठुरने के लिए मजबूर है। इन लोगों के अनुसार क्या करें कहां जाए यहीं रहना पड़ेगा और कोई विकल्प नहीं है।

सर्दी की सबसे अधिक मार पीजीआई के बाहर सो रहे मरीज़ के तीमारदार और अपना इलाज करवा रहे मरीज़ों पर पड़ रही है। शहर में 3 बड़े अस्पताल है सेक्टर 16,32 और पीजीआई जहां देश के कई हिस्सों से लोग आते है, लेकिन ठंड के मौसम में बाहर सोने के लिए मजबूर है क्यूंकि अभी तक रैनबसेरा नहीं है।

हालात इतने ख़राब है कि सड़कों पर सोने के लिए मजबूर है अगर पीजीआई के अन्दर सोते है तो पीजीआई के गार्ड उन्हें बाहर जाने के लिए कह देते है जिसके बाद पीजीआई के बाहर सोने के लिए मजबूर है,ना गद्दा है ना ही कम्बल गत्ते पर सो रहे है, वहीं ठंड में नींद भी नहीं आती यह कहकर इलाज करवाने आयी महिलाओं की आंखें भर आयी है