खबरें अभी तक। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली महज 15 साल की नाबालिगा ने इसलिए अपने आप को आग के हवाले कर लिया, क्योंकि उसके परिजनों ने उसको फोन पर घंटों बात करने से रोका था. और जब वह नहीं मानी तो माता-पिता ने बच्ची का फोन छीन लिया. जिसके बाद जब वह स्कूल गई तो बुधवार को स्कूल से घर वापिस ही नहीं लौटी.
परिजनों ने उसे काफी ढूंढा लेकिन जब उसका कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो उन्होंने मामले की लिखित शिकायत ढकोली पुलिस थाना में दी. वीरवार शाम को 15 वर्षीय नाबालिका ने पंचकूला सेक्टर 7 और 18 के चौक पर अपने ऊपर पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग के हवाले कर दिया. जिसकी सूचना मिलते ही पंचकूला पुलिस मौके पर पहुंची और उसे पंचकूला सेक्टर 6 के नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे चंडीगढ़ पीजीआई उपचार के लिए रेफर कर दिया लेकिन पीजीआई में नाबालिका की मौत हो गई.
डीसीपी पंचकूला कमलदीप गोयल का कहना है की सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई थी और जली हुई हालत में नाबालिक को तुरंत अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाकर आगामी जांच शुरू कर दी है. जांच के दौरान पंचकूला पुलिस को नाबालिक के बैग से एक सोलन हिमाचल की टिकट ओर एक मनाली की टिकट मिली है, इसके अलावा एक बड़ा चाकू और पेट्रोल की बोतल भी नाबालिगा के बैग से पुलिस को बरामद हुई है.
यह खुलासा पंचकूला पुलिस ने ढकोली पुलिस से बात करने के बाद किया है. पुलिस की माने तो 15 वर्षीय नाबालिगा मानव मंगल स्कूल सेक्टर 11,पंचकूला में दसवीं कक्षा में पढ़ती थी. हालांकि गंभीर हालत में अस्पताल में पहुंची 15 वर्षीय नाबालिका की मौत हो गई है लेकिन इस घटना के बाद एक बड़ा सवाल जरूर उठ खड़ा होता है कि आज के दौर में युवाओं की मानसिकता को आखिर हो क्या रहा है?
बड़ा सवाल यह है कि- क्या जन्मदाता मां-बाप अपने बच्चों को भटकने से रोक भी नहीं सकते? और क्या मां-बाप से ज्यादा बाहरी लोग आज युवाओं के ज्यादा हितैषी हैं.