आस्था के आगे कुदरत भी नहीं रोक पाया श्रद्धालुओं के कदम

खबरें अभी तक। इन दिनों लाहौल घाटी के आराध्य देवता तंगजेर देवता अपने निवास स्थान प्यूकर गंव से निकल कर घाटी के विभिन्न गंव में जा रहें है तथा लोगों की दुख दर्द सुन कर उनका निर्वाण कर रहें हैं। एक साल देवधाम में निवास करने के बाद दो साल घाटी की भ्रमण के लिए निकलते हैँ। तंगजेर देवता इस साल नवम्बर के चार तारीख को अपने देवघाम से बाहर निकलें है।

दरअसल इन दिनों घाटी का मौसम खराब चल रहा है लगातार बर्फवारी हो रही है, तथा ठण्ड का प्रकोप निरन्तर बढ़ रहा है, लेकिन ठण्ड व बर्फवारी भी तंगजेर देवता के भ्रमण को रोक नहीं पा रही हैं। देवता के कारकुन व श्रदालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आ रही है

बताते चले कि घाटी के आराध्य देवता तंगजेर देव भ्रमण के अन्तिम पडाव में है, पूरे घाटी के भ्रमण के बाद इन दिनों अपने निवास स्थान प्यूकर गांव के प्रत्येक घर में जा कर घरवालों को आर्शीवाद प्रदान कर रहें हैं आस्था व श्रद्धा का अनोखा संगम इन दिनों देखने को मिल रहा है।

काबिलेगौर है कि अगले साल घाटी के अधिष्ठाता देव राजा घेपन अपने निवास स्थान यंगलिग सिस्सू से निकलेंगे तथा लाहोल घाटी के भ्रमण करेंगें। इसी दौरान तंगजेर देवता भी अपने निवास स्थान प्यूकर गांव से निकलेंगे तथा अपने छोटे भाई राजा घेपन से देव मिलन होगा ।