खबरें अभी तक। बढ़ती प्याज़ की क़ीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है और एक महीने से ज़्यादा होने को है लेकिन प्याज़ की क़ीमतों में कमी नहीं आ रही है और अगर आढ़तियों की माने तो अगले एक महीने तक क़ीमतों में कटौती नहीं होगी वहीं जो प्याज़ सरकार द्वारा इंपोर्ट करने को कहा है उसकी क्वॉलिटी बहुत ख़राब है ।
सेक्टर 26 की सब्ज़ी मंडी में रोज़ाना चहलक़दमी देखने को मिलती है, लेकिन अब मंडी का नजारा अलग देखने को मिला, मंडी ख़ाली नज़र आ आई अक्सर मंडी में प्याज, आलू की बोरियाँ नज़र आती है लेकिन प्याज़ की आवक कम होने के कारण क़ीमतें तो ज़्यादा है ही वहीं प्याज़ ख़रीदने वाले रिटैलेर भी होल्सेल मंडियो में कम पहुँच रहे है, जिससे आढ़तियों की सेल नहीं हो रही. आढ़तियों की माने तो प्याज़ बारिश की वजह से ख़राब हो गया है जो प्याज़ आ रहा है वो नासिक, अलवर से आ रहा है.
जिनकी क़ीमतें 60-62 प्रति किलो बिक रहा है और क्यूँकि नासिक का प्याज़ सबसे बेहतरहीन क्वालिटी का कहा जाता है उसकी होल्सेल क़ीमत ही 70 प्रति किलो है ऐसे में प्याज़ की क़ीमतों में उछाल आ रहा है. आढ़तियों की माने तो पहले रोज़ाना प्याज़ के 12 ट्रक आते थे अब 4 या 5 आ रहे है. वहीं इम्पोर्टेड प्याज़ जोकी अफगानिस्तान से आया है उसकी क्वॉलिटी बहुत ख़राब है और वो ट्रक एक आढ़ती को 15 लाख का पड़ता है जबकि भारतीय प्याज़ के ट्रक 4 से 5 लाख का पड़ता है ऐसे में उन्हें नुक़सान हो रहा है.
वहीं सब्ज़ी मंडी में प्याज़ बेचने वाले विक्रेता विजय ने बताया कि रिटेलर में प्याज़ 80 से 90 रुपए प्रति किलो बिक रहा है ।लोग प्याज़ कम ख़रीद रहे है जिससे उनकी खर्चा नहीं निकल रहा है जितना होल्सेल ख़रीद रहे है उससे कुछ बचत नहीं हो रही है .
सब्जी मंडी में आए लोगों की माने तो प्याज़ ने उनकी रसोई का बजट बिगाड़ दिया है, जिस कारण प्याज़ का इस्तेमाल क़म हो रहा है आने वाले टाइम में यही हाल रहा तो प्याज़ का इस्तेमाल बंद ही कर देंगे.