जिला प्रशासन ने सभी डीजल ऑटो को एक जनवरी से बंद करने की प्रक्रिया शुरु की

ख़बरें अभी तक। गुरूग्राम में प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए जिला प्रशासन अब हरकत में आ गया है. सरकार के आदेशों के बाद जिला प्रशासन ने सभी डीजल ऑटो को एक जनवरी से बंद करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है.

गुरूग्राम में लगातार हवा में घुल रहे जहर को खत्म करने के लिए अब प्रशासन की तलवार डीजल ऑटो पर चलने वाली है. डीजल ऑटो को सड़क से हटाने के लिए एक लिस्ट तैयार की गई है. जिससे आसानी से सभी डीजल ऑटो को बंद किया जा सके. वहीं इसके अलावा अब सिर्फ सीएनजी और ई-रिक्शा ही सड़क पर नजर आयेंगे.

सीएम मनोहर लाल ने पिछले कार्यकाल में ही ये निर्णय लिया था. उसी के बाद अब प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. जिसमें 01 जनवरी 2020 से पूरी तरह से प्रशासन की तरफ से सभी डीजल ऑटो को प्रतिबंध कर दिया जायेगा. वहीं पहले चरण में उन ऑटो को सड़क से हटा कर इम्पाउंड किया जा रहा है जो 10 साल से पुराने हो चुके है और बिना किसी परमिशन के सड़क पर दौड़ रहे है.

गुरूग्राम में करीब 40 हजार डीजल औऱ सीएनजी ऑटो है. वहीं इसके अलावा अधिकांश ऑटो ऐसे भी है जो बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे है. एनजीटी का मानना है कि डीजल ऑटो से ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है. इसलिए गुरूग्राम में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाया जाए या फिर ई-रिक्शा और सीएनजी रिक्शा की संख्या बढ़ाई जाए. उसी को ध्यान में ऱखते हुए सीएम मनोहर लाल ने ये निर्णय लिया था.

जिला प्रशासन के सामने चुनौती है लेकिन आरटीओ, पुलिस और पॉलयूशन विभाग मिलकर इस प्रक्रिया को चला रहा है कि अगले एक महीने में सभी डीजल ऑटो को बंद किया जा सके. वहीं ऑटो चालकों का मानना है कि अगर अचानक डीज़ल ऑटो बंद कर दिए जाएंगे तो रोजगार की समस्या पैदा हो जाएगी। वहीं ऑटो यूनियन की माने तो उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन को जो सुझाव और मांग पत्र दिया है उसपर भी विचार किया जाये. जिससे ऑटो चालकों को भी नुकसान नहीं हो.

यूनियन का कहना है कि अधिकांश ऑटो ऐसे है जो कुछ महीने पहले ही खरीदें है और उनकी पेयमेंट भी पूरी नहीं हुई है. जो लॉन पर है उनकी हर महीने किस्त जाती है. यदि सभी डीजल ऑटो को बंद किया गया तो ऐसे ऑटो चालकों को भारी नुक्सान होगा. हालांकि इस पूरे मामले को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से बीच का रास्ता निकाला जा रहा है. जिससे इस समस्या का भी समाधान निकाला जा सके. इन डीज़ल ऑटो में सफर करने वालों का भी मानना है कि अगर डीजल ऑटो बैन कर दिए जाएंगे तो सफर करने में भी परेशानी हो जाएगी।

फिलहाल ऑटो यूनियन भी इस बात के लिए सरकार और प्रशासन के साथ खड़ी है कि यदि डीजल ऑटो से प्रदूषण हो रहा है तो वो उसे बंद करने के निर्णय के साथ है.लेकिन ऑटो चालकों की जो मांग है उन्हे भी सरकार पूरा करे.फिलहाल प्रशासन ने डेड लाइन जरूर 1 जनवरी 2020 रख दी है लेकिन इस बीच प्रशासन के बीच चुनौती भी कई है.