सरकार की अनदेखी से आज भी प्राचीन मंदिर मूलभूत सुविधाओं से वंचित

खबरें अभी तक। देवभूमि हिमाचल को देवी देवताओं की भूमि कहा जाता है आज भी यहां के मंदिरों में देवी देवता निवास करते हैं। जिन्हें देखने के लिए बाहरी राज्यों से कई श्रद्धालु पहुंचते हैं और मंदिरों के दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी है जिन की विशेषताएं बहुत महत्वपूर्ण है पर सरकार की अनदेखी के कारण अपनी महत्वपूर्ण विशेषताएं लुप्त करने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसा ही एक मंदिर जिला सिरमौर में पत्थर नाथ मंदिर है जिसे राजाओं ने खुद बनाया था मान्यता थी कि इस मंदिर में गुफा के अंदर भोले शिव शंकर और पार्वती की मूर्ति के दर्शन करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती थी पर्स समय के साथ साथ सारे रहस्य लुप्त होते चले गए यही नहीं यहां के ऋषि मुनियों का मानना है कि सिरमौर जिला को सिरमौर नाम देने वाला यही मंदिर है राजाओं के समय से बना यह मंदिर आज विकास की राह को देखने के लिए तरस रहा है।

कब पहुंचेगा विकास

प्राचीन धरोहर की अनदेखी से अब ऐतिहासिक मंदिर व मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचना शुरू हो गया है। सिरमौर जिला को सिरमौर नाम देने वाली प्राचीन पत्थर नाथ मंदिर को प्राचीन धरोहर का दर्जा प्राप्त है मंदिर की खस्ताहालत बयान कर रही है कि जिला भाषा व संस्कृति विभाग इन प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिरों के रखरखाव पर कितना चितित है। हर वर्ष बरसात में हो रही मूसलाधार बारिश का पानी इस प्राचीन मंदिर में अंदर घुसने से मूर्तियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। बिडंबना यह है कि संबंधित विभाग ने मंदिर की सुध लेना छोड़ दिया है ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त होने की कगार पर है। मौजूद समय में मंदिर में ही पूजा-अर्चना करने वाले कुछ श्रद्धालुओं ने ही मंदिर को बारिश के पानी से बचाने के लिए तिरपालों का साहरा दिया है।

अगर समय रहते इस मंदिर के रखरखाव न किया गया तो यह प्राचीन धरोहर का इतिहास महज कागजों तक ही सीमित रह जाएगा। अनदेखी तो यह है की  घरों की सजावट सुगंधित फूलों और आकर्षक बिजली की लड़ियों से की गई है लेकिन इस मंदिर की सजावट फटे पुराने तिरपाल से करनी पड़ी है।

यहां का रहस्य और समस्याएं

राजा द्वारा बनाया गया ऐतिहासिक मंदिर कि हालत दिन प्रतिदिन एक मोमबत्ती के समान हो गई है कब बुझ जाए और अंधेरा हो जाएं मंदिर की गुफा बिल्कुल बंद हो चुकी है जिसे देखने के लिए कभी श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती थी थोड़ी सी गुफा बची है ना जाने वह भी कम बंद हो जाए

मंदिर में मौजूद अनिल नाथ गुरुजी ने बताया कि राजा के समय से मंदिर यहां पर मौजूद है राजा के समय में यहां एक साधु  आए ऊनी साधु ने राजा से इजाजत लेकर इस पत्थर खोद कर गुफा बनाई जोकि बहुत छोटी थी उनके जाने के बाद जब दूसरे साधु पहुंचे तो उन्होंने इस गुफा को बहुत बड़ा किया उन्होंने यहां पर एक सुरंग बनाई थी बताया जाता है कि यह सुरंग यहां से नहान तक जाती है। असुविधा के कारण गुफा बंद हो चुकी है पर इस गुफा के अंदर एक प्राचीन भोले शिव शंकर पार्वती की मूर्ति आज भी नजर आती है।

जिसके दर्शन करने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगती थी आज भी यहां पर मौजूद है यहां पर आसपास के इलाकों के लोग आस्था बहुत है और यहां पर माथा टेकने के लिए जरूर पहुंचते हैं पर प्रशासन का मंदिर की ओर कोई भी ध्यान नहीं है अगर प्रशासन इसकी और ध्यान दे दो हिमाचल में नहीं बल्कि देश में भी पत्थर नाथ मंदिर का नाम विख्यात हो सकता है इस मंदिर में पर्यटक घूमने के लिए आ सकते हैं सिरमौर जिले के अंदर आज भी राजाओं का समय का मंदिर मौजूद है।

मंदिर में मूलभूत सुविधाओं ना होने के कारण यहां पर लोगों ने कम आना शुरू कर दिया है अगर यहां पर सुविधाएं मिल जाए तो यहां पर कई क्षेत्रों के लोग माथा टेकने के लिए पहुंच सकते हैं कहा जाता है कि जो भी यहां पर सच्चे मन से शीश झुकाते हैं तो उनकी मनोकामना है जल्द पूरी हो जाती है मंदिर को बचाने के लिए यहां पर मौजूद गुरुजी ही खुद काम कर रहे हैं सबसे ज्यादा समस्या पाने की है यहां पर शौचालय और  नलके के तो है पर उसमें पानी नहीं है।

बचपन से ही मंदिर की सेवा कर रहे सेवक ने बताया कि पानी की कमी के कारण यहां पर काफी समस्या उत्पन्न हो रही है काफी दूर से है पानी ढोकर मंदिर में मूर्तियां धोने के लिए वा पीने के लिए पहुंचाता है यहां पर पानी की समस्या जल्द दूर होने चाहिए।

सिरमौर जिला की बहुत सुंदर जगह होने के बावजूद भी कोई यहां मंदिर की ओर ध्यान नहीं दे रहा है आसपास के इलाकों के लोग यहां पर अपना शीश झुकाने के लिए जरूर पहुंचते हैं पर सरकार की अनदेखी के कारण यहां पर अब बाहरी राज्यों से श्रद्धालु व पर्यटक नहीं पहुंचते है। सरकार को भी मंदिर की ओर ध्यान देना चाहिए ताकि यहां पर श्रद्धालु पहुंचे पत्थर नाथ मंदिर के नाम से ही सिरमौर प्रसिद्ध हुआ है।

सरकार की अनदेखी के कारण मंदिर की दशा दिन प्रतिदिन लुप्त हो रही है एक और जयराम सरकार दावा कर रही है कि प्राचीन मंदिरों को बढ़ावा दिया जाएगा मंदिरों की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए प्रयत्न किया जाएगा पर धरातल पर प्रसिद्ध मंदिरों की हालत बिल्कुल खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है प्राचीन काल के बने इस मंदिर के प्राचीन मूर्तियां तिलकपुर मंदिर में पहुंचाई गई है सरकार को इस इन मंदिरों के बारे में भी विचार करना चाहिए ताकि आने वाले समय में पत्थर नाथ मंदिर का नाम प्रदेश में नहीं बल्कि देश में लोगों तक पहुंचना चाहिए।