102 मीट्रिक टन के साथ देश ने गेहूं उत्पादन की नई ऊंचाइयों को छुआ

ख़बरें अभी तक। करनाल: 102 मीट्रिक टन के साथ देश ने छुआ गेहूं उत्पादन की नई ऊंचाइयों को, अब विदेशों में उच्च क्वालिटी के गेहूं निर्यात की तैयारी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के उप महानिदेशक आनंद कुमार सिंह ने दी जानकारी, राष्ट्रिय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल में राष्ट्रिय बीज दिवस पर कृषक वैज्ञानिक कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन और नई किस्मों से कराया गया रूबरू, हरियाणा समेत उत्तर भारत के किसानों ने लिया भाग, संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की नई प्रजाति कर्ण वंदना से बहुरेंगे किसानों के दिन, बेहतर उत्पादन के साथ होगा बिमारियों से बचाव।

102 मीट्रिक टन के साथ भारत ने गेहूं उत्पादन में एक नए आयाम को छुआ है, ये लक्ष्य भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उच्च गुणवत्ता युक्त किस्मों और किसानों की कड़ी मेहनत के कारण सम्भव हो पाया है। करनाल में ये जानकारी देते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के उप महानिदेशक आनंद कुमार सिंह ने बताया कि अगर किसान वैज्ञानिक खेती को अपना ले तो चार साल में उसकी आय दोगुना ही नहीं अपितु तीन चार गुना भी हो सकती है। वे आज करनाल स्थित राष्ट्रिय गेहूं अनुसंधान संस्थान में आयोजित बीज दिवस एवं कृषक वैज्ञानिक कार्यशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि उत्पादन को और बढ़ाने के साथ साथ उनका लक्ष्य गेहूं निर्यात करने का भी है ताकि किसानों को ज्यादा फायदा हो। विदेशों में अधिकतर खाने में ब्रेड का प्रयोग होता है जिसके लिए विशेष गुणवत्ता युक्त गेहूं का उत्पादन किया जाना है और इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। अगर हम इसमें सफल हो गए तो किसान का गेहूं विदेशो में भी बिक सकेगा। आनंद कुमार सिंह ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है जिसके निपटान के लिए भारतीय कृषि अनुंसधान संस्थान लगातार काम कर रहा है, इसके द्वारा किये गए प्रयासों से पिछले सालों के मुकाबले फसल अवशेषों को जलाने में काफी कमी आई है।

हमे अवशेषों के व्यवसायिक उपयोग और इसकी खाद बनाने पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि किसान की आय को दोगुना करने में नई तकनीक बहुत कारगर साबित होगी। संस्थान द्वारा हाल ही में गेहूं की नयी किस्म कर्ण वंदना विकसित की गई है जिसके बेहतर परिणाम मिले हैं। किसानों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इसमें उत्पादन ज्यादा मिलता है और बीमारी का प्रकोप भी बहुत कम होता है। इस मौके पर संस्थान द्वारा हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित अन्य राज्यों से आये किसानों को इस नयी किस्म का बीज वितरित किया गया। कार्यशाला में कृषि उत्पादन की नई किस्मो का प्रदर्शन और किसानों को इसके इस्तेमाल के बारे में भी जानकारी दी गई।