नवरात्र में कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में क्यों बोया जाता है, जानिए

ख़बरें अभी तक। आजकल नवरात्रे चले हुए है, वहीं नवरात्रों में लोग अपने घरों में जौ को मिट्टी के पात्र में बोते है। और इसकी पूजा करते है। जौ को बोने के पीछे एक उद्देश्य छुपा होता है जिनके बारें में हम आपको आज बताएंगे। इस नवरात्र यदि आपने भी घर में जौ बोए है तो आप भी जान लें इसके पीछे क्या उद्देश्य है।

नवरात्र में कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका विधिवत पूजन भी किया जाता है। नवरात्र में जौ बोने के पीछे मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी और जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता है। जौ बोने का मुख्य कारण है कि अन्न ब्रह्म है इसलिए अन्न का सम्मान करना चाहिए।

नवरात्र पूजा में केवल जौ बोने का ही महत्व नहीं है बल्कि यह कितनी तेजी के साथ बढ़ता है, ये भी अहम होता है। नौ दिनों में जौ कितना उग जाती है, यह हमारे भविष्य पर भी संकेत करता है। जौ का तेजी से बढ़ना घर में सुख समृद्धि का संकेत माना जाता है। अगर जौ घनी नहीं उगती है या ठीक से नहीं उगती है तो इसे घर के लिए अशुभ माना जाता है। अगर जौ सफेद रंग के और सीधे उगे हो तो इसे शुभ माना जाता है। अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगती है तो अशुभ माना जाता है।

अगर जौ का रंग नीचे से पीला और ऊपर से हरा हो तो माना जाता है कि वर्ष की शुरुआत खराब होती है। इसके उलट अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। वहीं अगर जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला हो वर्ष की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर जौ घनी और हरी उगती है तो पूरा वर्ष अच्छा बीतने का संकेत मिलता है।