वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने आम बजट भाषण में किया क्रिप्टोकरेंसी को गैरकानूनी घोषित

खबरें अभी तक।  वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने आम बजट भाषण में क्रिप्टोकरेंसी को गैरकानूनी घोषित किया है और इसपर लगाम लगाने का इशारा किया है. हालांकि, उनके बजट भाषण के बाद भी इस मामले में कुछ स्पष्ट नहीं है कि सरकार इस पर रोक कैसे लगाएगी. इससे पहले, भारत सरकार ने संकेत दिए थे कि वह क्रिप्टोकरेंसी पर के लेनदेन पर नजर रखेगी.

जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी यानी बिटक्वॉइन जैसी वर्चुअल करेंसियों के जरिए होने वाले गैरकानूनी ट्रांजेक्शन को रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. जेटली के बजट भाषण से पहले इस दिशा में सरकार के कदम उठाए जाने की उम्मीद तो की जा रही थी, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ने इस दिशा में कड़ा कदम उठा लिया है. हालांकि, यह देखना अभी बाकी है कि इसे अमल में लाने के लिए सरकार के पास क्या तैयारियां  हैं.

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बिटक्वॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने की बात तो कही है, लेकिन उन्होंने साफ तौर पर इसे बैन करने की बात नहीं कही. न ही उन्होंने बिटक्वॉइन में ट्रेडिंग को बैन करने की बात कही है. अगर सरकार का इसे बैन करनेका इरादा है तो उसे आने वाले दिनों में इस दिशा में स्पष्ट प्रावधान करने होंगे.

अरुण जेटली के इस कदम से फिनटेक (बैंकिंग और फाइनेंशियल सेवाओं के लिए कंप्यूटर प्रोगाम या तकनीक) कंपनियों के लिए भी राह मुश्किल हुई है. इन कंपनियों के कामकाज के लिए डिजिटल करेंसी को औपचारिक बनाना अभी और दूर की कौड़ी लग रहा है. भारत में बजट पेश होने के बाद गुरुवार को क्रिप्टोकरेंसी में 8.7 फीसदी की गिरावट भी दर्ज की गई.

डीएमके की सांसद कनिमोझी के एक सवाल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि इस मामले पर विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है. उन्होंने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित सभी मामलों पर उचित कदम उठाने के लिए सभी उपाय अपनाए जा रहे हैं. फिलहाल साफ नहीं है कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाएगी. पिछले साल वित्त मंत्रालय ने ई-करेंसी को पोंजी स्कीम करार दिया था और कहा था कि इनका बबल कभी भी फूट सकता है.

 एक अनुमान और डीएमके की सांसद कनिमोझी के दिए आंकड़े के मुताबिक इस समय दुनिया भर की क्रिप्टोकरेंसी का 10 से 11 फीसदी भारत में है. भारत में कई लोग बिटक्वॉइन में ट्रेडिंग कर रहे हैं. इन लोगों की खरीदी गई क्रिप्टोकरेंसी का क्या होगा, इस पर भी तस्वीर साफ नहीं है. सरकार को क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली ट्रेडिंग पर लगाम लगानी है तो इस दिशा में स्पष्ट कदम उठाने होंगे.

इसी साल जनवरी में चीन ने भी क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग को बैन करने के लिए अपने नियमों में बदलाव की घोषणा की थी. दक्षिण कोरिया भी ई-करेंसी में व्यापार पर रोक लगा चुका है. दुनिया भर के कई देश और बैंक ई-करेंसी में होने वाले व्यापार से परेशान हैं, क्योंकि इससे बैंकों या सरकार को ट्रांजेक्शन पर कुछ नहीं मिलता है.

कई विश्लेषकों का मानना है कि अंडरवर्ल्ड या ब्लैक मनी होल्डर क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करके अपने पैसे को निवेश करने की कोशिश में हैं. इसलिए एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि सरकार का इसके खिलाफ उठाया गया कदम ब्लैक मनी को मुख्यधारा में लाने के खिलाफ लिया गया एक्शन है. इसके अलावा अगर इस तरह की करेंसी को हैकर्स चुरा लेते हैं तो मौजूदा व्यवस्था में उसे वापस लाने का कोई प्रावधान नहीं है.