रेलवे का रिटायर कर्मचारी छोटे-छोटे मासूम बच्चों को देते है निःशुल्क शिक्षा

खबरें अभी तक। शिक्षक दिवस पर प्रेरणा देने वाली खबर उत्तर प्रदेश के जनपद मुरादाबाद से है, जहां एक रेलवे के रिटायर कर्मचारी ने “रमन कोचिंग सेंटर” खोलकर छोटे छोटे मासूम बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए 2014 से कोचिंग सेंटर खोल दिया, कारण 2013 में उत्तराखंड में आई जल प्रलय में केदारनाथ में उनका इकलौता बेटा रमन, बहु और दो पोतियाx आज तक वापस नहीं आयीं।

जिन्हें तलाशने के बाद वह थक गये और अपना सब कुछ समाप्त होते देख आत्महत्या करने वाले ही थे कि उन्हें अपने बेटे और नन्ही नन्ही पोतियों की तस्वीर आंखों के सामने आ गईं बस फिर क्या था अपने वंश को खोने वाले इस पढ़े लिखे रेलवे कर्मचारी ने छोटी छोटी बच्चियों में अपनी पोतियों की परछाईं देखकर हताशा के बाद एक नया अध्याय शुरू करते हुए बच्चों के लिए अपने ही घर में निःशुल्क शिक्षा देना शुरू कर दी, जो 2014 से अभी तक जारी है।

राज नारायण अपनी आपबीती बताते हुए कई बार इतना भावुक हो गये उनको सांत्वना देते हुए पानी पिलाया गया, राज नारायण अपना बेटा रमन, बहु और पोतियां सलोनी और आभा को खोकर छटपटा गए थे और असहाय देख आत्महत्या की सोचने लगे, लेकिन राज नारायण को अपना पढ़ा लिखा बेटा रमन याद आ गया जो मुरादाबाद के एक प्रतिष्ठित स्कूल में बच्चों को पढ़ाता था, बस फिर क्या था, अपना दर्द भूलकर बुजुर्ग राज नारायण ने अपने बेटे और पोतियों को कोचिंग में आने वाली बच्चियों को अपनी पोती और बच्चे मानकर 2014 से निःशुल्क शिक्षा देनी शुरू कर दी।

इतना ही नहीं राज नारायण की कोचिंग में जो भी बच्चे शिक्षा के लिए आते हैं सभी ख़ुशी ख़ुशी पढ़ते हैं, राज नारायण का भी कहना है कि इन बच्चों में अपना परिवार दिखता है और छोटी छोटी बच्चियों में मेरी पोतियाँ दिखाई देती हैं। जो पेंशन आती है दो अध्यापकों को भी रख लिया है। राज नारायण 2014 से अब तक सैकड़ों बच्चों को पढ़ा चुके है और अपनी क्लास में टॉप आने वाले बच्चों को अपनी पेंशन से स्कालरशिप भी देते हैं,ताकि वो आगे बढ़ सकें।

बुजुर्ग राज नारायण की क्लास में आने वाली छात्रा प्राची ने कहा कि उसके पापा मिस्त्री हैं और वो टीचर बनना चाहती है प्राची ने बताया कि वो कक्षा एक से यहां आ रही है,वह छठी क्लास में पढ़ती है, मैंने यहां पर टेन्स सीखे हैं, और मैथ भी सीखी है मैं 5 साल से आ रही हूं, यहां बहुत अच्छा लगता है, मैं यहां बहुत कुछ सीखती हूं, सर फीस कुछ नहीं लेते हैं, यहां पर स्कालरशिप दी जाती है जब अच्छे नम्बर आते हैं।

बुजुर्ग राज नारायण की क्लास में बैठा एक छात्र भी बोल उठा कि मैं अंग्रेजी में कमजोर था, ट्रांस्लेशन मुझसे नहीं आती थी अब आ गयी है मैथ भी कर लेता हूं, स्कालरशिप भी मिल गयी है मेरे 83 परसेंट आये हैं। हमारे सर स्कालरशिप देते हैं और निःशुल्क पढ़ाते हैं ,यह मारते नहीं हैं ध्यान से पढ़ाते हैं कोई बच्चा परेशान भी करता है तो आराम से समझाते हैं।

उत्तराखंड में आई 2013 जल प्रलय के हादसे में अपने इकलौते बेटे का परिवार खोने के बाद रेलवे में गार्ड के पद से रिटायर राज नारायण हर बच्चे बच्चियों में अपना बेटा,बहु और दो पोतियां देखते हैं और सुबह से शाम तक इन्हीं बच्चों को भविष्य के लिए शिक्षा देने में लगे हुए हैं।