हरियाणा में फार्मासिस्ट वर्ग का आंदोलन आठवें दिन में प्रवेश, सरकार नहीं दे रही कोई जवाब

हरियाणा में फार्मासिस्ट वर्ग का आंदोलन आठवें दिन में प्रवेश कर गया है। अस्पतालों से मरीज बिना दवाई लौट रहे हैं पर सरकार खामोश है। मुख्यमंत्री बिना गरीब जनता की परवाह किए रथ यात्रा में मस्त है।

एसोसिएशन गवर्नमेंट फार्मासिस्ट ऑफ हरियाणा के राज्य प्रधान विनोद दलाल ने सरकार पर खुला आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और मुख्यमंत्री जी कहने को तो जनता की सरकार बताते है पर उनके पास न जनता के लिए और ना ही जनता के नुमाइदों के लिए वक्त है कि उनके साथ हुए अन्याय की बात सुन सके।

फार्मासिस्ट वर्ग बिना घड़ी में समय देखे एक फार्मासिस्ट ही कार्य करता है l उन्होंने इसे विडंबना ही बताया की जब हक देने की बात आती है तो पीछे धकेल दिया जाता हैl राजपत्रित फार्मासिस्ट का वेतनमान 4200 / होना सिस्टम के निद्रालीन होना दर्शाता है। फार्मासिस्ट केटेगरी जो सभ्य मानी जाती है, जनता की सेवा में विश्वास रखती है उसे पीछे धकेल दिया जाता है।

सरकार ने समान पैरा मेडिकल केटेगरी का वेतनमान 4600/- ग्रेड पे कर दिया है वहीं फार्मासिस्ट को 4200/- पर ही रख दिया है जो इस वर्ग का सरासर सम्मानहरण है lउन्होंने कहा कि फार्मासिस्ट के ग्रेड पे 4600 / पर माननीय मुख्यमंत्री व स्वास्थ्यमंत्री ने पूर्णतः सहमति जताते हुए स्वीकृति प्रदान कर दी है पर वित्त विभाग उदासीन रवैया अपनाकर फार्मासिस्ट वर्ग को आंदोलन पर मजबूर कर रहा है।

इसी कड़ी में पूरे हरियाणा के फार्मासिस्ट आगामी 4 सितंबर को वित्त मंत्री के विधानसभा क्षेत्र नारनौंद में इकठे होकर अपनी ताकत दिखाएंगे और रोष मार्च करेंगे। अगर फिर भी सरकार नहीं चेतती है तो आगामी तीव्र आंदोलन की रणनीति की घोषणा वहीं कर दी जाएगी व अब फार्मासिस्ट वर्ग अपना हक लिए बिना चैन से नहीं बैठेगा।