ऊना जिला में धूमधाम से मनाया गया गुग्गा नवमी का पर्व, जिलाभर के मंदिरों में श्रद्धालु हुए नतमस्तक

ख़बरें अभी तक: ऊना जिला के विभिन्न मंदिरों में गुग्गा नवमी का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर जिलाभर के गुग्गा मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु नतमस्तक होना शुरू हो गए थे वहीं हरोली में स्थित प्राचीन गुग्गा मंदिर में श्रद्धा और आस्था का खूब जनसैलाब उमड़ा। गुग्गा जाहिर वीर पीर के दर्शनों के लिए ऊना ही नहीं बल्कि साथ लगते पंजाब से भी सैंकड़ों श्रद्धालु पहुंचे थे। मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं की माने तो गुग्गा जाहिर वीर सभी भक्तों की मन्नतें पूरी करते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार गुग्गा जाहरवीर जी गुरु गोरखनाथ के परमशिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में राजस्थान के चुरू जिले के ददरेवा गांव में हुआ था। मध्यकालीन महापुरुष गुग्गाजी हिंदू, मुस्लिम और सिक्खों की श्रद्धा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए। लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गुग्गाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है।

लोग उन्हें गुग्गाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मंडलिक व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। गुग्गा नवमी का पर्व जमाष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। जिला ऊना में रक्षाबंधन के दिन से विभिन्न गांवों में मंडलियां गुग्गा जाहर वीर जी की कथाओं का गुणगान करती है और गुग्गा नवमी के दिन अपने अपने गुग्गा मंदिरों में माथा टेकते है। ऊना जिला के हरोली में स्थित प्राचीन गुग्गा जाहरवीर पीर जी का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर में श्रद्धालु हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब सहित अन्य राज्यों से भी शीश निवाने व मन्नते मांगने आते हैं। मंदिर के सेवादार मंजीत सिंह ने बताया कि यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है और दूर दूर से श्रद्धालु गुग्गा नवमी के दिन जहाँ नतमस्तक होते है।