अनुच्छेद 370 को खत्म करना देश के लिए जरूरी था: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

ख़बरें अभी तक। अनुच्छेद 370 को खत्म करना देश के लिए जरूरी था। इसका जश्न सिर्फ अन्य राज्य ही नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के बांशिदे भी मना रहे है। इस बात पर दो राय होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह समय की मांग थी। यह शब्द उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पंजाब यूनिवर्सिटी में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल बलराम दास टंडन की पुण्य जयंती पर आयोजित लेक्चरर के दौरान कहें। उन्होंने कहा कि 1963 के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी कहा था कि यह अनुच्छेद अस्थायी है। यह संविधान का स्थाई भाग नहीं है। ऐसे में उसे खत्म करने पर संविधान की दुहाई देना पूरी तरह से गलत है।

एम वेंकैया नायडू ने कहा कि बलराम दास टंडन आज राजनेताओं के लिए रोल मॉडल की तरह है। जनसंघ का प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्होंने 1962 और 65 की लड़ाई में साकारात्मक भूमिका निभाई। लोगों से गहनें मांगकर उन्होंने सेना की मदद की जबकि वह सरकार के विरोधी थे। इसी प्रकार से 1965 की लड़ाई में उन्होंने लंगर का आयोजन किया। जो कि देशवासियों और सैनिकों के लिए पूरी तरह से मुफ्त था।

राजनीति के अलावा देश की न्यायिक व्यवस्था पर बोलते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि एक केस को पूरा करने में तीस साल का समय लग रहा है। उस समय तक आरोपित की क्या स्थिति है इसकी कोई जानकारी नहीं होती। देश की सभी अदालतों को अपने निर्णय छह महीने से एक साल के भीतर करना होगा। तभी बेहतर राजनीति का निर्माण हो सकेगा।

गौरतलब है कि पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में बलरामजी दास टंडन मेमोरियल व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति एवं चांसलर वेंकैया नायडू मुख्य अतिथि के रूप में पहुँचे। इस मौक़े पर पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर VP  बिदनोर भी पहुंचे। वहीं केन्द्रीय मंत्री सोम प्रकाश और पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री विजे इंद्र सिंगला भी उपस्थित हुए।

यह कार्यक्रम पंजाब यूनिवर्सिटी लो ऑडिटोरियम में किराया किया और ये अपने आप का पहला बलरामजी दास टंडन मेमोरियल व्याख्यान था क्योंकि आज ही के दिन बलरामजी दास टंडन की पहली बरसी भी थी। बलरामदास जी टंडन के बेटे व् भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन ने कहा कि यह प्रयास पहली बार किया  गया था और हर वर्ष बलरामदास टंडन जी की बरसी पर ऐसे कार्य किये जाएंगे जिससे समाज को लाभ पहुंचेगा।