नेताओं व मंत्रियों के बड़े-बड़े भाषणों की तब पोल खुल जाती है जब जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है, पढ़िए ख़बर

ख़बरें अभी तक। सिरमौर जिला क्षेत्र के बहुत से गांव ऐसे हैं जो नदी किनारे या आसपास बसे हैं। इन गांवों के लोगों को बरसात के मौसम में नदी आरपार जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यही नहीं कई बार तो नदी में बह कर अपनी जान भी गवां चुके हैं ऐसा ही घटनाक्रम कई सालों से शिलाई के नेडा खंड का है जहां पर 21वीं सदी में भी पुल ना होने के कारण एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों को नदी से ही आवाजाही करनी पड़ती है हम यह भी कह सकते हैं की ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए नदी को पार करना किसी जंग से कम नहीं है।

क्योंकि बारिश होने पर नदी उफान पर होती है, जिसे पार करना ग्रामीणों के लिए आफत बन जाती है। गांव के पास बहने वाली नदी पर पुल न होने के कारण ग्रामीण, स्कूली बच्चे और मरीज, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक दिन पहले ही दुगना गांव के व्यक्ति नदी पार करते समय अपनी जान गवां चुके हैं और ऐसा हर वर्ष हो रहा है प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है।

नेता झूठे आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। नेडा खंड में यदि जल्द से जल्द दो पुलों का निर्माण नहीं किया गया तो कई जाने और जा सकती है क्षत्रिय विकास समिति के अध्यक्ष एक बार फिर जिला के मुखिया उपायुक्त सिरमोर व प्रदेश सरकार से जोरदार आग्रह किया है कि इस समस्या का समाधान किया जाए अन्यथा और वर्ष कई लोगों के घरों के चिराग बहुत सकते हैं। कफोटा व शिलाई के विच बेह रही नदी में प्रशासन की लापरवाही के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। अगर इस जगह सरकार ने पुल बनाया होता तो इस व्यक्ति को जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता।

नदी में हर वर्ष एक या दो व्यक्ति की डूबने से मौत ही रही है। एक दिन पहले भी अपने रिश्तेदारों से मिलने के एक व्यक्ति की नदी की तेज बहाव से बहकर मौत हो गई थी। नेडा आर नेडा पार के लोगों की आपस में काफी रिश्तेदार या हैं जिन्हें निभाने के लिए अक्सर लोगों को आवाजाही करनी पड़ती है यही नहीं स्कूली बच्चों वा कॉलेज के छात्रों को भी कफोटा कॉलेज में आना पड़ता है लेकिन पुल की सुविधा ना मिलने से परेशान नजर आते हैं।