शिमला: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 को लागू करने के लिए ली गई RTI कि मदद

ख़बरें अभी तक: कर्नल विधि चंद लगवाल की अध्यक्षता के तहत वेटरण फोरम फॉर ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक लाइफ स्वयं सेवी संस्था ने ज़रूरत मंद लोगो के हित में कार्य करने की ठानी है। इसी के चलते क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 को लागू करने के लिए उनकी संस्था ने कोर्ट तक भी गए। इस एक्ट के तहत सभी ज़रूरत मंद को कम दरो में दवाइयां व अन्य स्वास्थय सुविधाएं मिलती है परन्तु प्रदेश में ऐसे कोई अस्पताल व स्वास्थय केन्द्र  नहीं जो इस एक्ट के तहत काम कर रहे हो। साथ ही सभी दवाईयो व स्वास्थ्य सेवाओं के मूल्य हिंदी, अंग्रेज़ी व स्थानीय भाषा में चित्रित करना होता है।

कर्नल विधि चंद लग्वाल ने बताया कि ताकि जल्दी से जल्दी यह अधिनियम लागू हो इसके लिए वे पहले भी पटना व दिल्ली उच्च न्ययालय जा चुके है जहा फैसला उनके हित में ही रहा। अब वे शिमला के उच्च न्यायालय में मुकदमा लड़ रहे है। वे चाहते हैं कि प्रत्येक स्वास्थ्य संस्थान को अनुच्छेद 47 लागू करना चाहिए जो हर नागरिक को सस्ती कीमतों में स्वास्थ्य सेवाओं का वादा करता है। यह मुकदमा केंद्र राज्य व राज्य सरकार के खिलाफ है।मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति धरम चंद चौधरी और न्यायमूर्ति ज्योत्सना देवल दुआ ने की।

सुनवाई में सरकार ने माना भी कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तहत काम ना करना सरकार की गलती है। सूचना का अधिकार अधिनियम के द्वारा यह भी सामने आया कि यह अधिनियम इस लिए अभी तक लागू नहीं हुआ क्यू कि सरकार की तरफ से को अस्पतालों को मूल्य देना होता है उसमे सरकार सफल नहीं हुई थी। कर्नल विधि चंद लग्वाल और उनके वकील का मानना है कि यह फैसला भी उनके हित में ही होगा और जल्द से जल्द क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 प्रदेश में भी लागू हो जाएगा जिसे सभी ज़रूरत मंदो को स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती दरो में मिल सकेगी।