जहां पैदल चलना है मुश्किल, वहां साइकिल चलाकर किया रास्ता तय

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के नौहराधार (सिरमौर) की सबसे ऊंची चोटी चूढ़धार पर शिरगुल महाराज का मंदिर है। जहां हर वर्ष लोग दर्शन के लिए जाते है। वहीं सावन के महीने में यहां भक्तों की काफी भिड़ होती है। बता दें कि शिरगुल महाराज के इस मंदिर के जाने का रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं है। यहां खड़ी चढ़ाई है और ऊबड़-खाबड़ रास्ता है। लोग खड़ी चढ़ाई का रास्ता तय कर हर वर्ष काफी सख्यां में शिरगुल महाराज के दर्शन करने पहुंचते है।ये भी बता दें कि खड़ी चढ़ाई होने के कारण यहां पैदल चलना बेहद मुश्किल होता है। जहां लोगों का पैदल चलना मुश्किल है ऐसे में तीन युवक ऐसे है जिन्होंने चूढ़धार का सर्फ साइकिल पर तय किया जो तय करना मुशक्ल ही नहीं नामुमकिन है। लेकिन इन युवकों ने ये कारनामा कर दिखाया है। जिसे सुनकर लोग अब दांतों तले अंगुली दबाने के मजबूर हो रहे हैं। ये तीनों युवक शिमला के है। पहाड़ी पगडंडियों पर साइकिल चलाने के इनके जुनून ने इनको चूड़धार तक पहुंचा दिया।हस्तपा की हीरो एक्शन टीम के ये साइकिलिस्ट सोमवार को शिमला से निकले थे और बुधवार शाम को चूड़धार से वापस शिमला पहुंच गए हैं। शिमला से मढ़ाह तक पहुंचने में उन्हें सात घंटों का समय लगा था। मढ़ाह से चूड़धार के लिए चढ़ाई है जिस कारण उनको रास्ते में कई दिक्कतें आईं। वहीं इस ऊबड़-खाबड़ और चढ़ाई वाले रास्ते पर वे साइकिल अपने कंधो पर उठाकर चले और बिना रुके आगे बढ़ते गए।यह हैरतगेज कारनामा शिमला के 33 वर्षीय आशीष सूद, बालूगंज शिमला के 19 वर्षीय अक्षित गौड़ और शोघी के 18 वर्षीय आशीष शेरपा ने कर दिखाया है। बता दें कि आशीष सूद हीरो एक्शन टीम के मैनेजर हैं, जबकि आशीष शेरपा और अक्षित गौड़ हीरो एक्शन टीम के सदस्य हैं। अक्षित गौड़ को साइकलिंग में दो बार राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल भी मिला है, वहीं आशीष शेरपा को ब्रांज मेडल मिल चुका है।