ख़बरें अभी तक: शिमला में सीटू का 9वां जिला सम्मेलन में संगठन के नए रोड मैप के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर तेवर देखने को मिले। दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन में सीटू की कार्यकारिणी का गठन हुआ। जिसमें की 47 सदस्य कमेटी बनाई गई जिसमें 246 लोंगों ने भागीदारी दी है। इस सभा में मोदी सरकार के द्वारा श्रम कानूनों में फेर बदल कर मजदूरों के हक़ से छेड़-छाड़ करने के बारे में चर्चा की गई। साथ ही जो नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। सम्मेलन में तीन सालों के गतिविधियों की रूपरेखा भी तैयार की गई। बैठक में 14,15 व 16 सितंबर को राज्य अधिवेशन करने कि चर्चा भी कि गई।
मोदी सरकार-2 ने सत्ता में आते ही मजदूरों पर हमले तेज कर दिए हैं। मोदी सरकार ने घोषणा की है कि वह 44 श्रम कानूनों को खत्म करके केवल 4 श्रम संहिताओं को अमल में लाएगी। इस से मजदूरों के अधिकारों का दमन होगा व पूंजीपतियों को भारी फायदा होगा।मोदी सरकार आंगनबाड़ी,मिड डे मील,आशा सहित लगभग 70 सामाजिक स्कीमों को खत्म करने की साज़िश रच रही है। यह सरकार 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार इन कर्मियों को मजदूर का दर्जा देने से भी मुकर रही है।
खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाकर इस सरकार ने देश भर में काम कर रहे 2 करोड़ रेहड़ी,फड़ी व तयबजारी पर भी हमला बोल दिया है। सरकार बीमा, बैंक, बीएसएनएल आदि सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म करने पर तुली हुई है। मजदूरों से अपील की है कि वे 13 से 15 सितंबर को शिमला में होने वाले सीटू राज्य सम्मेलन को कामयाब बनाने के लिए गम्भीर प्रयास करें।