इकनॉमिक सर्वे 2017-18: लड़कों की चाहत में पैदा हुईं 2.1 करोड़ लड़कियां

खबरे अभी तक। भारत में 2.1 करोड़ ‘अनचाही’ लड़कियों का जन्म हुआ है. ऐसा  इकनॉमिक सर्वे 2017-18 की रिपोर्ट में दावा किया गया है. ये आंकड़ा खासतौर पर उन लड़कियों का है, जो लड़कों की चाहत में पैदा हुईं. 6.3 करोड़ बेटियों को गर्भ में मार भी दिया गया है. ये वो आंकड़ा है, जिन्हें गर्भ में ही मार दिया गया. सर्वे में कहा गया है किदेश के कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़नी चाहिए.सर्वे में कहा गया है कि देश को लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर कोशिशें करनी चाहिए, जिससे लैंगिक परिणामों के लिहाज से भी भारत की रैंकिंग में सुधार हो सके.

सर्वे के मुताबिक, ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनस में रैंकिंग बढ़ाने की कोशिशों की तरह ही लैंगिक स्थिति में सुधार के लिए भी कदम बढ़ाने चाहिए.’ इसमें कहा गया है कि लैंगिक परिणामों के खराब होने के पीछे समाज की सोच, लड़कों को अधिक पसंद करने के कारण ‘गायब’ महिलाओं या ‘अनचाही’ लड़कियां जैसे कारण हैं. भारतीय समाज को इस तरह के चलनों को बदलने का निश्चय करना चाहिए.

 देश की वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 2005-06 में 36 पर्सेंट थी, जो 2015-16 में घटकर 24 पर्सेंट रह गई.सर्वे में कहा गया है कि शिक्षा और रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना महत्वपूर्ण है. ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ और सुकन्या समृद्धि जैसी सरकार की प्रमुख योजनाओं के साथ ही सरकारी और निजी क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को मातृत्व के लिए 26 सप्ताह का अवकाश देना और 50 से अधिक एंप्लॉयीज वाली फर्मों में क्रेच की सुविधा अनिवार्य करना इस दिशा में उठाए गए कदम हैं.