महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है अग्नाशय का कैंसर

ख़बरे अभी तक । पैंक्रियाटिक कैंसर अग्नाशय का कैंसर होता है। अग्नाशय यानी कि पैंक्रियाज को पाचन ग्रंथि के नाम से भी जाना जाता है जो पेट के निचले हिस्से (एब्डोमेन) में पीछे की तरफ  होता है। पैंक्रियाज में ऐसे एंजाइम बनते हैं जो पाचन क्रिया को ठीक से काम करने में सहायता करते हैं। पैंक्रियाटिक कैंसर को शुरुआत में पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है जिसके चलते समस्या गंभीर होती चली जाती है और अंत: कैंसर का उपचार हो पाना संभव नहीं हो पाता है। अग्नाशय का कैंसर बड़ी परेशानी का कारण इसलिए बनता है, क्योंकि यह शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने में जरा भी देरी नहीं लगाता है।

नई दिल्ली स्थित हेल्दी ह्युमन क्लीनिक के सेंटर फॉर लीवर ट्राप्लांट एंड गैस्ट्रो साइंसेज के डायरेक्टर डा.रविंदर पाल सिंह मल्होत्रा का कहना है कि वैसे तो अग्नाश्य का कैंसर 50 की उम्र के बाद होता है लेकिन कभी-कभी कम उम्र के लोग भी इसके शिकार हो जाते हैं। बढ़ती उम्र के साथ आदमी कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है और साथ ही कैंसर होने की आशंका भी कहीं अधिक हो जाती है। इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते इसलिए इसे साइलेंट किलर के नाम से भी बुलाया जाता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पैंक्रियाटिक कैंसर ज्यादा होता है। धूम्रपान करने के कारण पुरुष इस रोग के ज्यादा शिकार होते हैं। ज्यादा वजन बढऩे से भी पैंक्रियाटिक कैंसर हो जाता है। धूम्रपान का सेवन, रेड मीट और चर्बी वाला भोजन इस कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। जिनको डायबिटीज या हाइपरटेंशन होता है उन्हें पैंक्रियाटिक कैंसर होने के ज्यादा चांसेज होते हैं।

डा.रविंदर पाल सिंह मल्होत्रा का कहना है कि अग्नाश्य के कैंसर के लक्षणों में भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, नाक से खून बहना, पीलिया होना, कमजोरी महसूस करना, मल का रंग बदलना, अपच, पेट में सूजन होना आदि शामिल हैं। सिटी स्कैन से इस कैंसर का पता किया जा सकता है। पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। इस कैंसर का इलाज सर्जरी से किया जाता है या तो पीडि़त को रोडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी दी जाती है। सर्जरी के जरिए पैंक्रियाटिक कैंसर को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है लेकिन इसके देर से पता चलने के कारण कई बार सर्जरी भी बस कुछ हद तक ही सहायक होती है। रेडियोथेरेपी में कैंसर की कोशिकाओं को तेज ऊर्जा के जरिए कम करने और रोकने की कोशिश की जाती है। कीमोथेरेपी में दवाओं को शरीर में फैलाया जाता है ताकि वो कैंसर की कोशिकाओं को खत्म कर सकें या बढऩे से रोक सकें। इस कैंसर के इलाज में अक्सर सर्जरी, रोडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी का प्रयोग एकसाथ किया जाता है ताकि अच्छे परिणाम मिल सकें।