पहली अगस्त से सातवें वेतन आयोग के अनुसार बढ़ा आवास भत्ता

ख़बरें अभी तक। हरियाणा की मनोहर सरकार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लग गई है। कल हुई बैठक में चार बड़े कर्मचारी संगठनों के साथ मैराथन बैठकों के बाद सीएम मनोहर लाल ने कर्मचारियों की आधा दर्जन मांगें मान ली हैं। मुख्यमंत्री ने पहली अगस्त से सातवें वेतन आयोग के अनुसार बढ़ा आवास भत्ता (एचआरए) देने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही 23 साल बाद फिर से सभी कर्मचारियों को एक्सग्रेसिया (मृतकों के आश्रितों को नौकरी) का लाभ देने का ऐलान किया।

साथ ही कर्मचारियों को अस्पताल में दाखिल होने पर हर बीमारी में कैशलेस मेडिकल सुविधा का लाभ मिलेगा। हालांकि पंजाब के समान वेतनमान, नई पेंशन स्कीम और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने से साफ इन्‍कार करते हुए मुख्यमंत्री ने दोटूक कहा कि किलोमीटर स्कीम जारी रहेगी। प्रदेश के साढ़े तीन लाख से अधिक कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ा हुआ एचआरए मिलेगा। इस पर हर साल सरकारी खजाने पर 1900 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर सरकार ने किसी तरह का आश्वासन कर्मचारियों को नहीं दिया। मैराथन बैठकों के बाद पत्रकारों से रू-ब-रू मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एक्सग्रेसिया पॉलिसी के तहत आश्रितों को तृतीय या चतुर्थ श्रेणी की नौकरी योग्यता अनुसार दी जाएगी। इसके लिए शर्त रहेगी कि मृतक कर्मचारी को नौकरी करते हुए पांच वर्ष पूरे हो गए हों। मृतक कर्मचारी की उम्र अगर 52 वर्ष से अधिक हुई या फिर पत्नी या बेटे में से कोई पहले ही सरकारी नौकरी में हुआ तो आश्रितों को एक्सग्रेशिया का लाभ नहीं मिलेगा।

हालांकि परिजनों को उतने वर्षों की तनख्वाह जरूर दी जाएगी, जितनी मृतक कर्मचारी की नौकरी शेष होगी। उन मृतक कर्मियों के परिवारों को भी योजना में शामिल किया जाएगा, जिन्होंने कर्मचारी की मृत्यु के बाद वेतन के तौर पर आर्थिक लाभ नहीं लिया है। कैशलेस मेडकिल सुविधा लागू करने के लिए सरकार सभी कर्मचारियों के कार्ड बनाएगी। अभी तक सरकार ने पांच-छह बीमारियों में ही कैशलेस मेडिकल सुविधा लागू की हुई थी।

कर्मचारी संगठनों द्वारा इसका विरोध भी किया जा रहा था। शनिवार को मुख्यमंत्री इस बात के लिए राजी हो गए कि सभी इनडोर बीमारियों में कैशलेस मेडिकल सुविधा का लाभ कर्मचारियों को दिया जाएगा। अभी तक कैंसर, हार्ट, ब्रेन, सड़क दुर्घटना जैसी बड़ी बीमारियां ही कैशलेस के दायरे में थीं।