बरसात के कारण इंद्री हलके के दर्जनों गांव में बाढ़ के हालात

ख़बरें अभी तक। इंद्री: कई दिन से चल रही बरसात के कारण इंद्री हलके के दर्जनों गांव में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं अत्याधिक पानी आ जाने के कारण फसलों में कई-कई फुट पानी जमा हो गया है। जिस कारण किसानों की फसलों तबाही के कगार पर पहुंच गई है। बरसात के पानी ने किसानों की खेतों में खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है किसानों की  फसलों के साथ-साथ ट्यूबवेल पानी में डूबने लगे हैं किसानों की फसलें पानी में डूब जाने के कारण सड़कों पर भी पानी चल रहा है पानी से किसानों की धान गन्ना पशुओं का चारा और सब्जियों की फसलें तबाह हो रही है।

कई किसानों की फसलें पानी में खराब होने के कारण किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने की बातें करने लगे बरसात का पानी आ जाने से इंद्री हलके के गांव पंजोखरा श्रवण माजरा, गढ़ीजटान,गढ़ीसधान, बीड रेत खाना हैबतपुर रामपुरा बुटान खेड़ी आदि गांव मैं किसानों की फसलें को भारी नुकसान पहुंचाया है। इतना ही नहीं इस पानी में किसानों के खेतों में भूसे के कूप भी खराब हो गए हैं। किसानों के पशुओं के लिए चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गई है पानी से प्रभावित किसानों का कहना है कि उनकी जिंदगी में बरसात के कारण इतनी अधिक मात्रा में खेतों में पहली बार पानी आया है।

इस पानी के कारण खेतों में खड़ी फसल में कई-कई फुट पानी भरा खड़ा है सड़क पर भी पानी ही पानी हो रहा है खेतों में ट्यूबवेल और फसलें खराब हो गई है।  किसानों ने आरोप लगाया कि पानी से हो रहे नुकसान से राहत दिलाने के लिए वह प्रशासन के पास धक्के खा रहे हैं लेकिन अधिकारी उनकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं किसानों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों की बेरुखी के कारण किसान बेहद चिंतित हैं किसानों ने कहा कि इस बार फसल तैयार करने के लिए भारी राशि खर्च करने तथा ठेके पर जमीन लेने के बाद पानी से फसलें तबाह हो गई ऐसे में उक्त किसान आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे है।

गांव के सरपंच बजिंदर सिंह ने बताया कि गांव के खेतों में पानी आने से किसानों की हजारों एकड़ फसलें तबाह हो गई हैं खेतों में कई-कई फुट पानी चल रहा है उन्होंने सरकार से पीड़ित किसानों को खराब फसलों ट्यूब बोलो का मुआवजा देने की मांग की है उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ित किसानों की प्रशासन द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है जबकि पीड़ित किसान प्रशासन के पास कई दिन से चक्कर काट रहे हैं लेकिन अधिकारी किसानों को राहत देना तो दूर मौके पर आकर उनकी सुध लेने तक को तैयार नहीं है।