जानिए क्या है Article 15, इसका पालन करना क्यों है जरुरी

ख़बरें अभी तक। बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना यह फिल्म समाज में फैली ऊंच-नीच और जातिगत भेदभाव के आधार पर बनी है। फिल्म ‘आर्टिकल 15’ 28 जून को रिलिज हो चुकी है, यह फिल्म सत्या घटना पर आधारित है। इस फिल्म को उत्तर प्रदेश के बंदायू रेप और मर्डर केस पर फिल्माया गया है। और इस फिल्म को Anubhav Sinha ने डायरेक्ट किया है।

फिल्म जातिगत भेदभाव पर आधरित होने की वजह से सवर्णों के कुछ संगठनों ने इसका विरोध भी किया। अब आप यह फिल्म देखे या ना देखे…..लेकिन भारत के नागरिक होने के नाते आपका ये जानना जरूरी है कि आखिर आर्टिकल 15 है क्या…… और क्यों इसका पालन करना हम सभी के लिए जरूरी है।

संविधान के आर्टिकल 15 के अनुसार आप किसी भी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकते है। संविधान के आर्टिकल 15 को 4 भागों में विभाजित किया गया है।

आर्टिकल 15 के पहले नियम के अनुसार….

( राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा।

आर्टिकल 15 के दूसरे क्लॉज के अनुसार….

कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या कुओं, स्नानघाटों, तालाबों, सड़कों, और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, पब्लिक रिजॉर्ट्स में घुसने से नहीं रोका जा सकता।

आर्टिकल 15 के नियम (3) के अनुसार…

अगर महिलाओं और बच्चों के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाए जा रहे हैं तो आर्टिकल 15 ऐसा करने से नहीं रोक सकता। जैसे महिला आरक्षण या बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा।

आर्टिकल 15 के नियम (4) के अनुसार…

राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े, एससी, एसटी, ओबीसी के लिए स्पेशल प्रोविजन बनाने की छूट है। जैसे सीटों का रिजर्वेशन या फीस में छूट आदि।