ऑनलाइन गेम और लाइव गेम के कारण लोग हुए मोबाइल एडिक्शन डिस्‍आर्डर के शिकार

खबरें अभी तक। मोबाइल के दुष्परिणाम तो आप सभी को पता ही होंगे, लेकिन मोबाइल पर 24 घंटे ऑनलाइन रहना और ऑनलाइन गेमिंग सेहत के लिए कितना नुकसानदेह यह अभी कोई नहीं जानता. वर्तमान में इंटरनेट की आदत हर एक उमर के व्यक्ति को लगी हुई है। 5 साल के बच्चे से लेकर 40 वर्ष के लोगों तक इंटरनेट का प्रयोग किया जा रहा है। ऑनलाइन गेमिंग का तो बच्चों की सेहत पर सबसे ज्यादा इफैक्ट पड़ता है। कई बच्‍चे इसके इतने आदी हो जाते हैं कि गेम छोड़ने के नाम पर ही चिड़चिड़े होने लगते हैं। ऑनलाइन गेम के आदी बच्‍चों में कई तरह की मानसिक समस्‍या सामने आ रही है।। इसके अलावा एप पर लंबे समय तक लाइव रहने की वजह से एक व्यक्ति के साइकोसिस हो जाने का मामला भी सामने आया है। इसमें मरीज वास्तविकता से बिल्कुल दूर हो गया।

मोबाइल पर ऑनलाइन गेमिंग की आदत और मोबाइल ऐप पर लाइव रहने की आदतें लोगों को बीमारी दे रही हैं। लोग मोबाइल एडिक्शन डिस्‍आर्डर के शिकार हो रहे हैं। मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेंद्र मंढाण के मुताबिक यह सिर्फ चुनिंदा जागरूक लोग हैं जो समय रहते अस्पताल तक पहुंच जाते हैं। अधिकतर लोगों को इस बात का पता नहीं होता कि जिस गेम को वे खेल रहे हैं वो उनके लिए कितनी खतरनाक हो सकती है। खासकर बच्चे या किशोर इसमें ज्यादा उलझ जाते हैं। उनमें इस समय इतनी सोचने समझने की क्षमता नहीं होती। इसलिए अभिभावक बच्चों का ध्यान रखें।इंटरनेट पर चलने वाली ऑनलाइन पबजी गेम दुनियाभर के कई लोगों के साथ खेला जाता है और सबके टाइम जोन अलग-अलग होते हैं। भारत में इस गेम को खेलने वाले ज्यादातर लोग रात में 11 से तीन बजे तक जागकर खेलते हैं। इस वजह से उन्हें सिर्फ नींद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी कई समस्याएं भी घेरने लगती हैं। इस गेम में लगभग 100 खिलाड़ी किसी टापू या अनजान युद्ध भूमि पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं और हथियार खोजते हैं। खेलते-खेलते बच्चे इसमें इतना खो जाते हैं कि खुद को इसी दुनिया में महसूस करने लगते हैं। इसमें अन्य लोगों से जुडऩे के लिए चैट ऑप्शन भी है, जिससे वह खेलने वाले को एक आभासी दुनिया में ले जाता है। इस गेम में हिंसा इतनी ज्यादा है कि लगातार गेम खेलने वाले का व्यवहार बदलने लगता है।