HP: इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं मरीज़

ख़बरें अभी तक। बरसाती मौसम सिरमौर जिले के श्री रेणुका जी क्षेत्र में बड़ी मुसीबत लेकर आता है। यहां सतोन से श्री रेणुका जी मार्ग लगभग समूचे बरसाती मौसम बंद पड़ा रहता है। सड़क बनने के 5 दर्शकों के बाद भी विभाग सड़क को सुचारू रखने का स्थाई समाधान नहीं कर पाया है। भगवान परशुराम जी की जन्मस्थली श्री रेणुका जी को जोड़ने वाले इस सड़क पर दरअसल खटेंड खंड अम्बोन खड़ और चांदनी डांग में जरा सी बारिश होने पर भी मलबा आ जाता है। हैरानी की बात यह है कि बरसाती मौसम में इन तीनों प्वाइंट्स के रखरखाव में हर साल 50 लाख से एक करोड़ तक खर्च होता है, लेकिन बावजूद इसके इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है।

मॉनसून आते हैं जहां किसानों बागवानों सहित आम लोगों के चेहरे भी खिल उठते हैं वहीं श्री रेणुका जी क्षेत्र के लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आते हैं। इसका कारण बरसात नहीं बल्कि बरसात के साथ इस क्षेत्र में आने वाली मुसीबत होता है। दर्शन बारिश होने से सतोन से श्री रेणुका जी तक सड़क मार्ग तीन स्थानों पर बंद हो जाता है। इस मार्ग पर खटेंड खड़, अम्बोन खड़ और चांदनी डांग मैं जरा सी बारिश होने पर भी लाखों टन मलबा सड़क पर आ जाता है। खटेंड खड़ में तो आलम यह है कि यहां सड़क ही कच्चे मलबे की  ढांग पर बनी है और बारिश होते ही ढंग से आया मलबा सड़क सहित बह जाता है।

फिर यहां हर बारिश के बाद दोबारा सड़क बनाई जाती है और यह सड़क भी अगली बारिश में मलबे की भेंट चढ़ जाती है। यह सड़क मार्ग भगवान परशुराम जी की जन्मस्थली श्री रेणुका जी तीर्थ को भी जोड़ता है और इस मार्ग से हर महीने हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्री रेणुका जी पहुंचते हैं लेकिन बावजूद इसके सरकार और विभाग इस सड़क की समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए गंभीर नहीं है।

समस्या सिर्फ बरसाती मौसम में ही नहीं है। साल के बाकी दिनों में भी सड़क के हालात काफी खराब रहते हैं। सड़क में अधिकतर स्थानों पर गड्ढे पड़े रहते हैं और सड़क के किनारों पर मलबे के ढेर लगे रहते हैं। जिसकी वजह से यहां छोटे-बड़े वाहनों के वाहन चालकों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

तीनों स्थानों पर सड़क मार्ग बाधित होने से 57 से श्री रेणुका जी तक दर्जनों गांव का संपर्क मुख्य क्षेत्र से समाप्त हो जाता है इस क्षेत्र के लोगों की समस्या यह है कि एक तरफ बरसाती पानी से उफनती गिरी नदी होती है तो दूसरी तरफ जगह-जगह से बाधित एकमात्र सड़क मार्ग होता है ऐसे हालात में क्षेत्र के लोग अपने घरों में कैद होकर रह जाते हैं समस्या तब अधिक हो जाती है जब जरूरी सामान के लिए सतन एयरपोर्ट आ जाना पड़ता है या किसी बीमार को अस्पतालों तक पहुंचाना होता है।

सड़क खराब होने और क्षेत्र के मुख्य धारा से कटने का यह सिलसिला पिछले 5 दशकों से जारी हैं। दरअसल यह सड़क बने 5 दशक से अधिक समय हो गया है और तब से यहां तीन तीनों प्वाइंट्स पर मलबा आने और उसके रखरखाव में लाखों रुपए खर्च होने का सिलसिला चल रहा है। इस मार्ग को बरसाती मौसम में दुरुस्त रखने पर हर साल 50 लाख से एक करोड़ तक खर्च आता है। हैरानी की बात यह है कि विभाग इस सड़क के रखरखाव के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहा है लेकिन समस्या के स्थाई समाधान के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा रही है।

यही कारण है कि हर बरसात में सड़क बाधित होती है सड़क मार्ग खोलने के लिए पानी की तरफ करोड़ों रुपए बढ़ाया जाता है मगर लोगों को फिर भी समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस खेल में लाखों रुपए का करप्शन भी हो रहा है। लेकिन ना विभाग के आला अधिकारी ना क्षेत्र के नेता इस समस्या का स्थाई समाधान कर पा रहे हैं। स्थानीय लोग बार-बार मांग कर रहे हैं कि समस्या का समाधान किया जाए।

हालांकि लगभग 2 वर्ष पहले सतोन से श्री रेणुका जी इस सड़क मार्गो को नेशनल हाईवे का भी दर्जा दिया गया है लेकिन सड़क के हालात डिस्ट्रिक्ट मेजर रोड कटागिरी की सड़कों से भी बदतर है। सड़क के रखरखाव के नाम पर हर साल लाखों रुपए बहाया जा रहा है। लोग समस्या से दो-चार हो रहे हैं। बरसाती मौसम में क्षेत्र के दर्जनों गांव में लोगों के समूचे काम रुक जाते हैं। नगदी फसलों को सटोन, पांवटा और नाहन आदि पहुंचाने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

कई मरीज तो इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। लेकिन बावजूद इसके सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। समस्या बेहद गंभीर है लेकिन विभाग हर बार अपनी लाचारी का रोना रोकर समस्या से पल्लू झाड़ देता है। ऐसे में क्षेत्र के लोग जाएं तो जाएं कहां। अब जरा विभाग की दलील भी सुनिए आला अधिकारी कहते हैं कि सड़क मार्ग को सुचारू रखने के लिए यहां स्थाई तौर पर जेसीबी मशीनें रखी जाती है। विभाग का प्रयास रहता है कि सड़क मार्ग बाधित ना हो विभाग के आला अधिकारी यह भी कहते हैं कि इस समस्या के समाधान के लिए हर बार आला अधिकारी और सरकार को लिखा जाता है।