गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर विवाद की स्थिति बनी

ख़बरें अभी तक। साध्वियों से दुष्कर्म मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर हरियाणा में विवाद की स्थिति बन गई है। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की जीत में सहायक बने राम रहीम की पैरोल को लेकर राजनीति गरमा गई है। बीजेपी सरकार के ज्यादातर मंत्री चाहते है कि राम रहीम को पैरोल मिल जाएं। राजनीतिक लाभ की मंशा से वे पैरोल की पैरवी भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार के सामने बड़ी दिक्कत यह है कि अगर बाबा दोबारा जेल नहीं गया तो उसे ढूंढने में पसीने छूट जाएंगे। वहीं गृह विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि पैरोल के बाद बाबा विदेश भी भाग सकता है। फिर उसे किस तरह वापस लाया जाएगा।

बता दें कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक साल की सजा पूरी कर चुका है। कानूनन वह पैरोल हासिल करने का हकदार है। इसके लिए उसने जेल प्रशासन के पास अर्जी भी दाखिल की है। जेल प्रशासन ने पैरोल की पैरवी करते हुए रोहतक के उपायुक्त के पास अर्जी भेज दी है। उपायुक्त ने एसपी से रिपोर्ट मांगी तो पता चला कि जिस खेती के लिए बाबा ने पैरोल मांगी, उसके लिए जमीन ही नहीं है। बाबा की पैरोल का आधार वाजिब नहीं होने की बात करते हुए उसकी अर्जी लौटाई जा सकती है, लेकिन भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्री बाबा के समर्थकों में यह संदेश देना चाहते हैं कि वे पैरोल दिए जाने के हक में हैं।

वहीं हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार और राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी का कहना है कि अगर नियम पूरे हैं तो बाबा को पैरोल मिलनी चाहिए। इनेलो के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने भी बाबा की पैरोल की पैरवी की है। इन मंत्रियों व राजनीतिक दलों से इतर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़ा संयमित बयान दिया है। मुख्मयंत्री का कहना है कि पैरोल का हक सभी का है और मिलनी भी चाहिए, लेकिन बाबा की पैरोल पर अदालत और सरकार दोनों की निगाह है।

किसी तरह की व्यवस्था को छिन्न भिन्न नहीं होने देना भी सरकार व न्यायपालिका का धर्म है। मुख्यमंत्री के इस बयान का मतलब साफ है कि सरकार बाबा की पैरोल के खिलाफ नहीं है, लेकिन यदि पैरोल मिलने के बाद बाबा को उसके समर्थकों ने वापस जेल नहीं जाने दिया तो फिर वही पुराना संकट खड़ा हो जाएगा, जो बाबा को पूर्व में अदालत में पेश करने के दौरान हुआ था। डेरा प्रमुख पैरोल से बाहर आने के बाद हमेशा अपने समर्थकों और अनुयायियों से घिरा रहेगा। वह समागम की अवधि भी बढ़ा सकता है।

इस दौरान अक्टूबर में विधानसभा चुनाव आ जाएंगे। तब सरकार चाहकर भी बाबा के विरोध में ऐसा निर्णय नहीं ले सकेगी, जो न्यायपालिका के निर्देशों के अनुपालन में जरूरी होगा। हरियाणा के गृह सचिव एसएस प्रसाद और पुलिस महानिदेशक मनोज यादव इस पूरे मामले में सरकार के साथ चर्चा करने में जुटे हैं। बाबा से यह भरोसा लिया जा रहा है कि वे पैरोल पर बाहर आने के बाद सरकार के लिए किसी तरह की दिक्कत नहीं खड़ी करेंगे। बाबा से यह भरोसा मिला तो पैरोल तय है, अन्यथा विधानसभा चुनाव के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।