भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ कुल्लू में मनाया गया बसन्त पंचमी का त्योहार

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में रविवार को बसंत पंचमी के अवसर पर अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ जी की भव्य रथयात्रा के साथ ही परंपरागत होली उत्सव का आगाज हो गया है। इस अवसर पर भगवान रघुनाथ जी सुल्तानपुर से ढालपुर मैदान तक पालकी में बैठकर सैकड़ों भक्तों के साथ ढोल-नगाड़ों, वाद्य-यंत्रों की थाप पर रथ मैदान तक पहुंचे, जहां से वह रथ में सवार होकर हजारों लोगों की मौजूदगी में अस्थायी शिविर तक पहुंचे और इसी के साथ ही कुल्लू में होली उत्सव का हर्षोल्लास के साथ आगाज हो गया है, जो 40 दिनों तक चलेगा।

इस दौरान वीर हनुमान व गुरु वशिष्ट की भूमिका वैरागी समुदाय के व्यक्ति तथा राम-भरत की भूमिका कुल पुरोहित ने निभाई। हनुमान की भूमिका निभा रहे महंत ने शरीर में सिंदूर लगाकर पूरे मैदान का चक्कर लगाया। उन्हें बड़ी संख्या में महिलाओं और स्थानीय लोगों ने सिंदूर लगाया। ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति को हनुमान का सिंदूर लग जाता है उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। इस दौरान हनुमान जी को सिंदूर लगाने के लिए लोगों का तांता लगा रहा। गौर रहे कि कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के बाद साल का यह पहला पर्व होता है। इस पर्व में जहां राम-भरत के मिलन के हजारों लोग गवाह बनते हैं वहीं, भगवान रघुनाथ की यात्रा दशहरे के बाद यहां केवल बंसत पंचमी पर ही निकलती है।

इस उत्सव के दौरान लोगों में भगवान रघुनाथ के रथ तक पहुंचने की होड़ लगी रहती है। हर कोई भगवान के रथ को खींचने में अपना योगदान देना चाहता है। भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए अधिकतर लोग उत्सव में पीले वस्त्रों में नजर आते हैं और भगवान रघुनाथ जी को भी पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं। उत्सव के दौरान हर कोई उत्साह के रंग में नजर आता है और राम भरत मिलन के बाद हनुमान जी की अठखेलियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती हैं। केसरी रंग से पूरी तरह रंगा हुआ शख्स जिसे यात्रा के दौरान भगवान हनुमान ही माना जाता है, वो जिन श्रद्धालुओं को रंग लगाता हैं जिस पर रंग लगता हैं वह अपने आप को सौभाग्यशाली मानता है। कुल्लू दशहरे की तरह इस उत्सव को देखने के लिए भी पर्यटकों की काफी भीड़ रहती है।