हिमाचल: अध्यापन का कार्य छोड़ शुरू की प्राकृतिक खेती, लोगों को रसायन मुक्त फल-सब्जियां उपलब्ध करवाना है लक्ष्य,

ख़बरें अभी तक। उपमंडल बंगाणा के गांव सिहाना के मनजीत ने जीरो बजट प्राकृतिक खेती को अपनाकर किसानों के लिए एक बेहतरीन मिसाल पेश की है। मनजीत सिंह ने एम. टैक की पढ़ाई करने के बाद करीब चार साल निजी विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया। लेकिन दिल में कुछ अलग करने की चाहत लिए मनजीत ने लोगों को रसायन मुक्त फल-सब्जियां उपलब्ध करवाने की सोची। मनजीत की इस सोच को आगे बढ़ाने में कृषि विभाग की आत्मा परियोजना सहायक बनी और विभाग की तरह से मनजीत को कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया।

आपके बता दें कि पालमपुर में मनजीत ने जीरो बजट प्राकृतिक खेती के जन्मदाता कहे जाने वाले पद्मश्री सुभाष पालेकर से टिप्स लिए और घर वापिस आकर अपने खेतों में जुट गया। मनजीत ने अपने गांव में एक पॉलीहाउस लगाया है जिसमें सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है वहीँ खुले खेतों में बंसी किस्म की गेंहू की फसल बीजी है। मनजीत की माने तो जैविक खेती से जहाँ लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा वहीँ पर्यावरण में भी सुधार होगा। मनजीत की माने तो जैविक खेती रसायन खेती के मुकाबले तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लगता है लेकिन जैविक प्रक्रिया से तैयार फल सब्जियां स्वादिष्ट और सेहत के लिए लाभदायक होती है।

वहीँ आज के दौर में जो किसान खेती छोड़ रहे है। उन्हें मनजीत ने जीरों बजट प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह दी है। मनजीत ने कहा कि प्राकृतिक खेती में लागत ना के बराबर है। जिससे फसल पकने के बाद मिलने वाली पूरी राशि लाभ के तौर पर किसान की ही होगी।

वहीँ आत्मा परियोजना के उपनिदेशक बी. आर. तक्खी ने बताया कि सिहाना का किसान मनजीत सिंह प्राकृतिक खेती को अपनाकर सफलता के मुकाम हासिल कर रहा है। तक्खी ने बताया कि विभाग द्वारा इस क्षेत्र के करीब 25 किसानों को भी मनजीत के साथ जोड़ा गया है जो प्राकृतिक खेती के टिप्स हासिल कर अपने खेतों में भी इस प्रक्रिया को अपना रहे है।