उत्तराखंड: रुद्रप्रयाग जनपद की स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर, बुखार की दवा के लिए 42 किमी की दौड़

ख़बरें अभी तक।  उत्तराखण्ड राज्य की परिकल्पना जिन उद्देश्यों के साथ की गई थी 18 साल बाद भी वो साकार होती नजर नहीं आ रही है। बुखार की गोली के लिए अगर 42 किमी की दौड़ आज भी लगानी पड़ रही है।

देश-विदेश के तीर्थाटनों और पर्यटकों से वर्ष-भर गुलजार रहने वाले तथा आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील जनपद रुद्रप्रयाग की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से हाशिए पर नजर आ रही हैं। तीनों विकासखण्ड खण्डों में अधिकांशतया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संसाधनों और डाॅक्टरों के अभाव में रेफर सेंटर बने हुए हैं तो कई दूर-दूर तक भी स्वास्थ की सुविधा नहीं है।

रुद्रप्रयाग जसोली के दो दर्जन गाँवों के लोगों को बुखार आने पर 42 किमी रुद्रप्रयाग अथवा कर्णप्रयाग की दौड़ लगानी पड़ती है। कई बार गम्भीर बीमार होने कइ लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। कोटतल्ला, बिजरा कोट, कोटमल्ला जैसे गांवों तक यातायात की सुविधा भी नहीं है। हालांकि सड़क की कटिंग तो हो रखी है लेकिन वर्षों से डामरीकरण न होने के कारण यह मार्ग खतरनाक बना हुआ है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं बीमारों को अस्पताल तक पहुँचने में बड़ी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।