तीन तलाक विधेयक लोकसभा में हुआ पास

ख़बरें अभी तक।  मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और तीन तलाक की प्रथा को रोकने के लिए लाया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 गुरुवार को लोकसभा में पास हो गया। 5 घंटे चली चर्चा के बाद विधेयक के पक्ष में 245 और विरोध में 11 वोट पड़े जबकि वोटिंग के दौरान कांग्रेस, एआईएडीएमके, डीएमके और समाजवादी पार्टी ने वॉक आउट कर दिया। संसद के निचले सदन में केंद्र सरकार के पास स्पष्ट बहुमत होने के चलते यह तय माना जा रहा था कि यह बिल लोकसभा में पास हो जाएगा। लेकिन विपक्षी दलों समेत अहम मुद्दों पर केंद्र का साथ देने वाली एआईएडीएमके का वॉक आउट करना यह संकेत दे गया कि यह विधेयक राज्यसभा में एक बार फिर अटक सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक करार देते हुए सरकार को कानून बनाने को कहा था। सरकार ने दिसंबर 2017 में लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा से पारित कराया लेकिन यह बिल राज्यसभा में अटक गया क्योंकि राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है।

तीन तलाक विधेयक में विपक्ष जमानत के प्रावधान की मांग कर रहा था। अगस्त में विधेयक में संशोधन किए गए लेकिन एक बार फिर यह विधेयक राज्यसभा में अटक गया. इसके बाद सितंबर में सरकार अध्यादेश लेकर आई. चूंकि, अध्यादेश की अवधि 6 महीने होती है। इसलिए यह बिल एक बार फिर संशोधन के साथ लोकसभा में लाया गाया। अब सरकार के सामने सबसे बड़ा टेस्ट राज्यसभा में है क्योंकि उच्च सदन में अभी भी सरकार के पास विधेयक को पास कराने के लिए संख्या बल नहीं है।

आपको बता दें कि पिछली बार जब यह बिल राज्यसभा में आया था तो इसे कुछ संशोधन के साथ सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया था। हालांकि इस विधेयक का कांग्रेस ने समर्थन किया था लेकिन उसकी मांग थी कि बिल में कुछ अहम संशोधन किए जाएं। अब जब तीन तलाक विधेयक दोबारा लोकसभा में आया तो कांग्रेस इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए वॉक आउट कर गई।

लोकसभा से वॉकआउट करने वाले सांसदों की मांग थी कि बिल पर विस्तृत चर्चा के लिए दोनों सदनों की संयुक्त सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। इन दलों का सवाल है कि तीन तलाक को अपराध क्यों माना जाए। साथ ही जिस व्यक्ति को इस अपराध में सजा मिलनी है उसके परिवार का ध्यान क्यों नहीं रखा गया।

वहीं तीन तलाक बिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक अहम है। क्योंकि मोदी रैलियों में इसे केंद्र सरकार की उपलब्धि और नारी सशक्तिकरण की दिशा में बहुत बड़ा कदम बताते रहे हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस उपलब्धि का तमगा लेकर जनता के बीच जाना चाहेगी। अब पहली समस्या यह है कि मौजूदा संसद सत्र 8 जनवरी तक ही चलना है और अगर इस बार भी बिल राज्यसभा में अटक जाता है तो सरकार को दोबारा अध्यादेश लाना पड़ेगा। चूंकि, यह अंतिम सत्र है लिहाजा नई सरकार और नई संसद के समक्ष ही इस बिल को दोबारा लाया जा सकेगा।