पाठशाला है या मौतशाला, स्कूल में विद्यार्थियों के सिरपर मंडराता हुआ खतरा

ख़बरें अभी तक। फरीदाबाद पल्ला क्षेत्र के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेहतपुर में हजारों विद्यार्थी मौत के साये में पढ़ने के लिये मजबूर हैं, क्लास रूम के अंदर विद्यार्थियों के सिर पर हमेशा मौत मंडराती रहती है, विद्यार्थियों के ऊपर मंडराता ये खतरा सरकार की ही देन है,, स्कूल की इमारत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है जिससे इमारत के टुकड़े टूट-टूटकर विद्यार्थियों के उपर गिरते हैं विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि खुद प्रिंसीपल को भी डर लगा रहता है कि कहीं पूरी इमारत ही उनके ऊपर न गिर जाये।

आश्चर्य की बात तो यह है कि तीन बार एसडीएम और शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इस इमारत का निरीक्षण कर चुके हैं, शायद लगता है कि प्रशासन को अब किसी बडे हादसे का इंतजार है। शिकायतकर्ता बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एल एन पराशर ने विद्यार्थियों की चिंता करते हुए कोर्ट में संबंधित विभाग और प्रशासन के खिलाफ याचिका दायर करने की धमकी दी है। इसे आप पाठशाला कहेंगे या मौतशाला, ये टूटी हुई इमारत की तस्वीरें किसी पुराने खंडहर की नहीं है साहब, ये तस्वीरें हैं 14 हजार करोड़ रूपये सरकारी स्कूलों पर खर्च करने वाली हरियाणा सरकार के एक सरकारी स्कूल की।

ये सरकारी स्कूल फरीदाबाद के पल्ला क्षेत्र का सबसे बड़ा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सेहतपुर है, जिसमें पहली कक्षा से लेकर 12 कक्षा तक हजारों छात्र – छात्रायें पढती हैं। मगर इन विद्यार्थियों का ध्यान पूरी तरह से पढाई पर न होकर जर्जर पड़े हुए क्लास रूम की छतों और दीवारों पर होता है। क्योंकि 12 वीं कक्षा तक चलने वाले इस सरकारी स्कूल की हालत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है।

विद्यार्थियों की माने तो उन्हें क्लास रूम के अंदर बैठकर पढ़ने में डर लगता है, कभी छत टूटकर गिरने लगती है तो कभी बरसात होने पर पानी टपकने लगता है। इस स्कूल की बदहाल अवस्था से न सिर्फ विद्यार्थियों को डर लगता है बल्कि इन विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले शिक्षक और खुद स्कूल की प्रिंसीपल भी डर के साये में शिक्षा ग्रहण करवाते हैं। इसका खुलासा खुद स्कूल की प्रधानाचार्या अनीता चोपड़ा ने किया।

उन्होंने बताया कि स्कूल की जर्जर हालत से वो भी बहुत दुखी रहतीं हैं और उन्हें भी अनहोनी का डर लगा रहता है। उन्होंने कहा कि बड़े अधिकारियों से स्कूल की इमारत के बारे में शिकायत की गई, जिसके बाद तीन बार एसडीएम और शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने स्कूल का निरीक्षण किया, उसके बाद भी अभी तक हालत जस की तस बनी हुई है। लगता है कि प्रशासन भी अब शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

मौके पर पहुंचे शिकायतकर्ता वकील एल एन पाराशर ने बताया कि ये जिले का सबसे बड़ा सरकारी स्कूल है और इसमें लगभग ढाई हजार छात्र छात्राएं पढ़ते हैं और स्कूल की पुरानी इमारत ही नहीं नई बिल्डिंग भी जर्जर हो गई है और नई बिल्डिंग में भी दरारें पड़ गईं हैं और नई इमारत की दीवारें, खिड़कियां भी टूटने लगीं हैं। वकील पाराशर ने बताया कि स्कूल की पुरानी और नई इमारत दोनों के निर्माण में बड़ा घोटाला हुआ है और स्कूल की इस इमारत में भी घटिया मैटेरियल लगा है। वह इस घोटाले का पर्दाफाश करने के लिये संबंधित प्रशासन की शिकायत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को करेंगे और जरूरत पड़ने पर कोर्ट में याचिक भी दायर करेंगे।