जींद: बुढ़ापा पेंशन बनवाने के लिए बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर

ख़बरें अभी तक। जींद। बुढ़ापा पेंशन बनवाने के लिए जिले के बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। आज लघुसचिवालय में करीब 2 हजार से अधिक बुजुर्ग महिला व पुरुषों पेंशन बनवाने पहुंचे ये वे बुजुर्ग है. जिनके पास उम्र का कोई सबूत नहीं अब इनकी पेंशन मेडिकल के आधार पर बनेगी, मेडिकल करवाने के लिए आए बुजुर्गों ने विभाग की टीम पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें हर बार कोई ना कोई बहाना बनाकर कभी कहा जाता है कि कागज पूरे नहीं है कभी कहते है कि आपकी उम्र नहीं हुई है।

हर महीने के दूसरे शुक्रवार को जिला सचिवालय में बुढ़ापा पेंशन बनवाने के लिए बुजुर्गों की उम्र सत्यापन के लिए मेडिकल होता है। बीते लम्बे समय से किसी कारण के चलते मेडिकल नहीं हो पाया था। इसी के चलते आज इस भारी संख्या में पुरुष व महिला बुजुर्ग जिला सचिवालय पहुंचे हुए थे।

पेंशन बनवाने के लिए बुजुर्गों को लंबी लंबी लाइनों में लगाया गया था जिसको लेकर पूरी तरह से अव्यवस्था का आलम फैला हुआ था बीमार बुजुर्ग लाठी के सहारे बैठ कर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे, वहीं एक तरफ तो सरकार बुजुर्गों को बैंक द्वारा घर जाकर पेंशन पहुंचाने का दवा कर रही है तो दूसरी तरफ पेंशन बनवाने के लिए उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है.

वहीं एक बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि वो पेंशन के फार्म कई बार भर चुकी है लेकिन वो दफ्तरों के चक्कर काट काट कर थक गई है, लेकिन पेंशन नहीं बनती, कभी कागज न पूरे होने का हवाला दिया जाता है तो कभी कम्युटर में रिकॉर्ड न होने का हवाला दिया जाता है, आज हम सुबह से यहां खड़े है, लेकिन बारी नहीं आई.

बुजुर्ग महिला ने गुस्से में सरकार को लताड़ते हुए कहा फसल हमारी होती नहीं, आंखों से हमे दिखाई  देता नहीं, फार्म भर भर कर इतने दुखी है 70 साल की उम्र हो गयी है, पेंशन नहीं बन रही है,  सरकार ने  जुलूस निकला हुआ है, 10 साल हो गए चक्कर काटते हुए कहते है कि कागज पूरे नहीं है,  सरकार ने तमाशा बनाया हुआ है.