कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया मिट्टी की सेहत का राज

ख़बरें अभी तक। भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का निर्णय लिया है। परन्तु यह तभी संभव हो पाएगा, जब किसान अपनी मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाएं ताकि फसल में बढ़ोत्तरी हो। भिवानी के कृषि विज्ञान केंद्र में जिले भर से आए सैंकड़ों किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता व उसके बारे में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला लगाकर जानकारी दी गई।

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को बताया कि भोजन का पौष्टिक सीधे मिट्टी के स्वास्थ्य से संबंधित होता है। इसके अलावा मिट्टी दुनिया की कार्बंडाईऑक्साईड उत्सर्जन का 10 प्रतिशत अपने में स्टोर करती है। साथ ही मिट्टी वायुमंडल को ठंडा रखने में भी हमारी मदद करती है। परन्तु आज हम मिट्टी के स्वास्थ्य को रासायनिक खादों व पेस्टीसाईड के प्रयोग से खराब करते जा रहे हैं। जिसके चलते मिट्टी में हवा व पानी का संचालन बेहतर न होने के कारण जमीन बंजर होती जा रही है। इसीलिए किसानों को चाहिए कि वे मिट्टी के महत्व को समझते हुए रासायनिक खादों के प्रयोग को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निर्धारित मात्रा से ज्यादा प्रयोग न करें।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. गुलाब सिंह ने बताया कि आज हमारी जमीन अत्याधिक रासायनिक खादों के प्रयोग के चलते खराब हो रही है। इसीलिए किसानों को चाहिए कि वे आर्गेनिक खादों का प्रयोग करें। इसके लिए आर्गेनिक खाद, गोबर की खाद बेहर विकल्प है। इससे न केवल किसानों की कृषि लागत घटेगी, बल्कि फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। साथ ही किसानों को चाहिए कि मिट्टी व पानी की जांच के बाद ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि किस प्रकार की खाद फसल को है, तभी खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य सुधर सकेगा। इस मौके पर किसानों ने बताया कि बगैर रासायनिक खादों के उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है। यह तभी संभव है जब मिट्टी के स्वास्थ्य पर वे ध्यान दें। आज विश्व मृदा दिवस पर उन्हे मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जो जानकारी दी गई है, उसका प्रयोग वे अपने खेतों में कर पाएंगे।