पर्यावरण बचाने के लिए की साइकिल यात्रा, इंडिया बुक में दर्ज़ हुआ इस बेटी का नाम

ख़बरें अभी तक। हौंसला तो रख ज़रा, नांपी है मुठ्ठी भर जमी, अभी तो सारा जहान बाक़ी है। इसको सत्य कर दिखाया रेवाड़ी की बहादुर बेटी सुनीता चौकन ने, जो साल 2011 में 8848 मीटर की चढ़ाई नापकर एवरेस्ट को फ़तह कर चुकी है और अब कन्याकुमारी से खारदुंगला तक 5 हज़ार किलामीटर का सफ़र तय करके अपना नाम इंडिया बुक में दर्ज़ करवा लिया है। यह न केवल जिला व प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उनकी इस साइकलिंग का पूरा उद्देश्य बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और पेड़ लगाओ, पर्यावरण बचाओ है। सुनीता अब तक अपनी यात्रा के दौरान 10 हज़ार से ज़्यादा पेड़ लगा चुकी है और हर एक पेड़ की ग्रोथ के लिए 4-4 लोगों की ज़िमेदारी भी लगाई गई है।

बता दें रेवाड़ी की रहने वाली सुनीता चौकन वर्ष 2011 में 8848 मीटर की ऊंचाई नापकर एवरेस्ट को फ़तह कर चुकी है। इस दौरान उन्होंने पहाड़ों के ग्लेशियर को पिघलते हुए देखा तो मन में एक ख़्याल आया कि यदि आने वाले समय के लिए इन ग्लेशियरों को नही बचाया गया तो पर्यावरण का अस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा, जिसे लेकर सुनीता ने पिछले साल कन्याकुमारी से खारदुंगला तक 5 हज़ार किलोमीटर का सफ़र साइकिल से तय किया।

इसका उद्देश्य पर्यावरण को बचाना ही था। इस सफ़र के दौरान स्कूली बच्चों को संबोधित कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया और अपनी यात्रा में 5 हज़ार से ज़्यादा पेड़ भी लगाए। वहीं हर पेड़ की सुरक्षा में 4 लोगों को भी लगाया। इसके बाद उन्होंने इस साल गुजरात के सोमनाथ से पशुपति इंफाल का 5 हज़ार किलोमीटर का सफ़र भी साइकिल से तय किया।

इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रदूषित होते पर्यावरण को बचाने के लिए प्लास्टिक से होने वाले नुकसान की जानकारी देते हुए बताया कि जो पॉलीथिन हम घरों में इस्तेमाल करते है, उसके तीन बड़े नुकसान होते है। यदि हम पॉलीथिन को खुले में फेंकते है तो वह धीरे-धीरे धरती में समा जाती है और धरती की उर्वरक शक्ति को ख़त्म कर देती है। गाय अगर उसको खाती है तो कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो जाती है।

सबसे अहम प्लास्टिक कैंसर इसका मुख्य कारण है, जो बरसात के दिनों में नदी नालों के रास्ते समुद्र में पहुच जाता है और वहां माइक्रो प्लास्टिक का रूप धारण कर लेते है, जिन्हें मछलियां खाती है और उन्ही मछलियों के माध्यम से यह मॉइक्रो प्लास्टिक इंसान के शरीर में जाकर कैंसर का कारण बनता है। दूसरे यह मॉइक्रो प्लास्टिक समुद्र से बनने वाले नमक के जरिये हमारे शरीर में पहुंचकर कैंसर का कारण बनता है।

इस बेटी की लोगों से अपील है कि जिस प्रकार सरकार समय समय पर प्लास्टिक के प्रयोग पर लोगों को इसका उपयोग ना करने के लिए जागरूक करता है ठीक लोगों को भी अपनी जिमेवारी को समझते हुए इसका प्रयोग ना करें। पॉलीथिन की जगह कपड़े से बने थैलों का उपयोग करें, ताकि हम अपना और आने वाली पीढ़ियों को बचा सकें।

सुनीता ने बताया कि इस 10 हज़ार किमी की साइकिल यात्रा के दौरान उन्हें हर जगह सम्मान और इज्ज़त की नजरों से देखा गया। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने संदेश दिया कि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नही है। बशर्ते दिल और दिमाग में कुछ करने का जज़्बा होना चाहिए। सुनीता अब तक 9 राष्ट्रीय अवार्ड्स हांसिल कर चुकी है, जिनमे से नारी शक्ति जो राष्ट्रपति द्वारा दिया गया। भारत गौरव, डॉटर अवार्ड, कल्पना चावला अवार्ड सहित अन्य शामिल है।