केन्द्र सरकार ने राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी किया पत्र

ख़बरें अभी तक। सूबे में ही नहीं पूरे देश में बस्ते के बोझ तले दबते जा रहे बच्चों व उनके अभिभावकों के लिए खुश खबरी है। क्योंकि अब मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा पूरे देश के सभी सरकारी व प्राईवेट स्कूलों को निर्देश जारी कर ना केवल स्कूल के बस्ते का बोझ निर्धारित किया है बल्कि कक्षा के हिसाब से किताबें भी निर्धारित की है। वहीं पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क ना देने का भी फैसला इसमें शामिल है।

भले ही दुनिया समय के साथ आधूनिक हो रही हो। मशीनी युग में नई-नई तकनीक आ रही हो, लेकिन इस बदलाव के साथ नहीं बदला तो वो है स्कूल का बैग। समय के साथ स्कूल के बैग का बोझ कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। इससे बच्चों का ना केवल शारीरिक विकास बल्कि मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। पर अब केन्द्र सरकार की पहल पर मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने देश के सभी सरकारी व प्राईवेट स्कूलों को निर्देश जारी करते हुए स्कूल के बैग का बोझ कम करने के निर्देश जारी किए हैं।

बस्ते का बोझ कम करवाने की लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट एवं शिक्षा स्वास्थ्य सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सरकुलर के अनुसार कक्षा पहली और दूसरी में पढ़ने वाले बच्चों के बस्ते का वजन डेढ़ किलोग्राम निर्धारित किया गया है, जबकि कक्षा तीसरी से कक्षा पांचवीं तक पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का वजन 2 से 3 किलोग्राम निर्धारित किया गया है। इसी तरह कक्षा छठी से आठवीं तक पढ़ाई करने वाले बच्चों के बस्ते का वजन चार किलोग्राम से अधिक नहीं होगा। इतना ही नहीं कक्षा आठवीं से नौंवी तक बस्ते का वजन साढ़े चार किलोग्राम है।

कक्षा दसवीं से बारहवीं में पढऩे वाले बच्चों के बस्ते का वजन पांच किलोग्राम से अधिक नहीं होगा। बृजपाल परमार ने बताया कि भारत सरकार व राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त सभी निजी स्कूलों द्वारा कक्षा पहली व दूसरी कक्षा के बच्चे को कोई भी होमवर्क नहीं दिया जाएगा। इसके साथ साथ कक्षा पहली से दूसरी तक भाषा, गणित विषय से सम्बंधित केवल दो ही किताबें अनिवार्य हैं, जबकि कक्षा तीसरी से पांचवीं तक भाषा, ईवीएस, गणित विषय की केवल एनसीईआरटी पाठयक्रम की पुस्तकें अनिवार्य की गई हैं।

छात्र के बैग यानी बस्ते में कोई भी अतिरिक्त किताब या वजन नहीं होना चाहिए। बृजपाल परमार ने बताया कि भारत सरकार ने अपने सरकुलर में सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को सख्त हिदायतें दी हैं कि कक्षावार बच्चों के बस्ते का वजन निर्धारित से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बस्ते का बोझ कम होने के फैसले की चोतरफा सरहाना हो रही है। अब बस इंतजार है तो इसके लागू होने तथा समय-समय पर निगरानी होने की ताकि कोई स्कूल नियमों व आदेशों की अवहेलना ना कर पाए।