खबरें अभी तक। साइबर सिटी गुरुग्राम के बसई चौक पर आज 4 दिन बाद फिर हुड्डा द्वारा मकानों पर और बसई गौशाला पर पीला पंजा चलाया गया. यह सभी मकान और गोशाला हुड्डा की लैंड पर बने थे. हुड्डा प्रशासन द्वारा इन सभी मकान मालिकों और दुकान मालिकों को तकरीबन 10 महीने पहले नोटिस देकर बता दिया गया था, कि जिस जगह पर यह मकान बने हैं उन जगहों से सिक्स लाइन हाईवे निकलना है, जिसके निर्माण के लिए इन सभी मकानों को ध्वस्त कर दिया जायेगा.
यह बिलखती आंखें यह मुरझाए चेहरे आप जो अपने टीवी स्क्रीन पर देख रहे हैं यह सब वह लोग हैं जिनके मकान हुड्डा द्वारा आज तोड़े जा रहे हैं इन लोगों की हालात आप देख सकते हैं. यह वह वोटर है जो हर इलेक्शन में वोट करते हैं पिछले 20 से 22 सालों से ना जाने कितनी सरकारों को बनाने में इन्होंने योगदान दिया है, ना जाने कितने मंत्री कितने पार्षद इन लोगों के चौखट पर आकर वोट मांग कर गए हैं. मगर जब आज वोट का कर्ज अदा करने का समय आया तो कोई भी उनके साथ नहीं खड़ा है. इनके साथ ना कोई अधिकारी खड़ा है ना कोई स्थानीय नेता खड़ा है, यह लोग अपने मकान को ध्वस्त होते हुए देख रहे हैं और अपनी जमापूंजी से खड़े करें इस मकान को टूटता देख सिर्फ आंसुओं के जरिए अपनी बेबसी को बयां करते नजर आ रहे हैं.
इन मकान मालिकों की माने तो मकान मालिकों को यहां पर रहते हुए तकरीबन 20 से 22 साल हो गए हैं जिसमें उनकी कई पीढ़ियां रह चुकी हैं, मगर अचानक हुई इस कार्रवाई के बाद मकान मालिक बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहे हैं कि अब उनके पास कोई दूसरा आसरा नहीं है. मकान मालिक सरकार से मांग करते नजर आ रहे हैं कि अगर उनको हमारे मकान ही तोड़ना है तो उन्हें कहीं और मकान दिया जाए अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो वह लोग कहां जाएंगे क्योंकि इन लोगों ने अपनी जमापूंजी पूरी इस मकानों में इन दुकानों में झोंक दि है. जिसके बाद अगर उन्हें कोई सही विकल्प नजर नहीं आया तो उनके पास कोई और चारा नहीं बचेगा.
प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई की बड़ाई करें या निंदा यह तो आप अपने टीवी स्क्रीन पर रोते हुए लोगों के आंसू को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं मगर इस कार्यवाही का असर समाज और वोटर की सोच पर कितना पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा.