अस्पताल की लापरवाही के चलते महिला ने कीचड़ में दिया बच्चे को जन्म

ख़बरें अभी तक। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के जिला अस्पताल प्रबंधन पर एक बार फिर बड़ी लापरवाही का उस वक्त आरोप लगा जब एक महिला ने कच्ची मिट्टी पर ही बच्चे को जन्म दिया। जैसे ही इसका पता अस्पताल प्रबंधन को चला तो अस्पताल में भगदड़ मच गई और आनन-फानन में महिला और बच्चे को अस्पताल में लाया गया। फिलहाल महिला और बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं लेकिन महिला के परिजन और महिला अस्पताल प्रबंधन को लगातार कोस रहे हैं।

आपको बताते चलें कि ग़ाज़ियाबाद के (MMG) महिला सरकारी जिला अस्पताल के गेट के बाहर कीचड़ में ही महिला की डिलीवरी हुई। यह नौबत अस्पताल की लेटलतीफी की वजह से आई। आरोप है कि महिला के जरूरी टेस्ट देरी से करवाए गए। और मुख्य टेस्ट के लिए महिला को अस्पताल से बाहर भेजा गया। जब एक जरूरी टेस्ट करवा के महिला को वापस लाया जा रहा था। तो अस्पताल के गेट से पहले ही महिला ने बच्चे को कीचड़ में ही जन्म दिया। राहत यह है कि बच्चा और मां दोनों सकुशल हैं। इस मामले में महिला के परिजनों का आरोप है कि कही न कही अस्पताल की लापरवाही सामने आयी है।

उधर महिला चिकित्सालय की सीएमएस दीपा त्यागी का कहना है। कि जिस महिला ने बच्चे को जन्म दिया है। इसका यह दूसरा बच्चा था। इसके पहले बच्चे के दौरान भी नॉर्मल डिलीवरी हुई थी। और इस बार इस महिला को एक दिन पहले एडमिट किया गया था। और लगातार उसे दर्द बढ़ाए जाने के इंजेक्शन भी दिए जा रहे थे। लेकिन जांच के बाद पता लगा की महिला के पेट में पानी की थैली फट गई है। और अब महिला की डिलीवरी ऑपरेशन के द्वारा ही कराई जाएगी। जिसके लिए कई मेडिकल परीक्षण की आवश्यकता होती है। उसमें टी एस एच की जांच होनी भी आवश्यक होती है। जिसके लिए खून जांच का अलग विभाग है।

वहां पर मरीज को खुद ही जाना पड़ता है। क्योंकि उसी विभाग के चिकित्सक द्वारा मरीज का खून एकत्र किया जाता है। और उसकी जांच के बाद भी रिपोर्ट पर उसी विभाग के चिकित्सक द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं, वही मान्य होते हैं, और टीएसएस कराने के लिए ही महिला को सुबह भेजा गया था। वहां पर कुछ ज्यादा भीड़ होने के कारण थोड़ा समय लग गया और जैसे ही वह महिला वापस लौट रही थी। तो अचानक ही उसे दर्द हुआ और बीच में ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया। लेकिन तुरंत ही महिला और बच्चे को लेबर रूम लाकर उसका विधिवत इलाज किया गया है। बहराल डॉ. दीपा त्यागी का कहना है। कि इस मामले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही नहीं मानी जा सकती है। क्योंकि खून की जांच उसी विभाग में की जाती है ।और टी एस एच की जांच के बाद ही महिला के ऑपरेशन के बाद डिलीवरी संभव थी।