आगरा: आंसुओं में बह गए गोभी किसानों के अरमान

ख़बरें अभी तक। आगरा के ब्लॉक शमसाबाद में आलू और गोभी की ख्याति देशभर में फैली हुई है l देश के अधिकांश महानगरों में आलू और गोभी की पूर्ती शमसाबाद के किसान ही करते हैं। लेकिन इस बार गोभी के दाम धड़ाम होने से अन्नदाता के दिल के अरमान आंसुओं में बह गए है। गोभी की बेकद्री का आलम ये है की मंडी में एक रुपये किलो मारी-मारी फिर रही है। नतीजा, अन्नदाता बड़े अरमानों से पैदा की गई गोभी को खुद ट्रेक्टर से रौंद रहे हैं, ताकि आलू की बुबाई हो सके। गोभी के दगा से सहमे किसानों को अब सब्जियों के “राजा” आलू से घाटे की भरपाई की बड़ी उम्मीदें हैं।

ब्लॉक शमसाबाद इलाके में ज्यादातर किसान गोभी, आलू की फसल कर अपना जीवन यापन व्यतीत करता है। आलू मे पिछले दो साल से पड़ रहे घाटे के बाद इस बार आलू किसानों को कुछ राहत मिली और आलू के बाद काफी क्षेत्रफल में इस बार किसानों ने बड़ी आस से गोभी की फसल की पौध तैयार की थी। लेकिन शुरू से ही पहले प्रकृति की मार पढ़ी,और लगातार बारिश होने से गोभी की पौध खेतों में रखने के लिए पीछेती हो गई l फिर भी किसानों ने आस नहीं छोड़ी, और मेहनत कर गोभी की फसल तैयार की।

जैसे ही गोभी खेतों से बिक्री के लिए मंडियों में जाने लगी तो 20-25 रुपए किलो बिकने वाली गोभी अचानक से 2 से तीन रुपए किलो बिकने लगी। किसानों को मंडी के भाड़े के पैसे तक घर से देने पड़ रहे हैं।  जिससे किसान आहत हो गया।  खेतो से गोभी काटना ही बंद कर दिया है, शायद कुछ दिन में भाव बढ़ जाए l लेकिन दिन प्रतिदिन गोभी सस्ती होती गई।

उधर आलू की फसल की भी बुवाई का समय धीमे धीमे निकल रहा है, ऐसे में किसान के सामने सिर्फ और सिर्फ मुसीबत का पहाड़ टूटने लगा और धैर्य जवाब दे गया l किसानों ने खेत में खड़ी फसल को ट्रेक्टर से रौंदना ही मुनासिब समझा।  इलाके के ज्यादातर किसान खेतों में खड़ी गोभी की फसल को जोतकर आलू की बुवाई मे लग गए हैं l जिससे कि गोभी में हुए नुकसान की भरपाई आलू की फसल से पूरी की जा सके।