नूरपुर के 4 युवा बने मिसाल, साहिवाल नस्ल को कायम रखने के लिए बनाई गोशाला

खबरें अभी तक। हिमाचल का किसान कृषि और पशुपालन से विमुख हो रहा है, जिस वदह से सड़कों पर गौवंश भटक रहा है, वहीं इसी गौवंश को रोजगार के रूप में अपनाकर एक समाज ने मिसाल पैदा की है. नूरपुर के चार युवाओं ने देसी साहिवाल गौसंरक्षण, और नस्ल सुधार प्रकल्प के रूप में अभियान शुरू किया है और अब इन युवाओं का मिशन भी कामयाब होता दिख रहा है.

अच्छी खासी नौकरी करने वाले इन युवाओं ने जब इस क्षेत्र को चुना था तो उन्हें इस काम को लेकर कोई विशेष जानकारी नहीं थी लेकिन जज्बा था कि कुछ ऐसा किया जाए जो पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बने. ऐसे में उन्होंने विलुप्त होती जा रही साहिवाल नस्ल की गायों को गौशाला के रूप में चुना.

ये नस्ल हजारों वर्ष पुरानी है लेकिन आज जर्सी और होलीस्टन प्रजाति आने के कारण साहिवाल नस्ल लुप्त होने के कगार पर है. इसी के सरंक्षण करने और नस्ल सुधारने का काम इस गौशाला में हो रहा है.