#MeToo पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

खबरें अभी तक। सोशल मीडिया पर छाया हुआ #MeToo कैंपेन से संबंधित मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच चुका है। दरअसल महिला ने कुछ लोगों पर यौन अारोप लगाए गए थे उन लोगों ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई कि अभियोक्ता को सोशल मीडिया या अन्य मंचों पर अपने अनुभव साझा कर आरोप लगाने से रोका जाए।

याचिकाकर्त्ताओं की बात सुन कर हाईकोर्ट ने एक अहम फेसला लेते हुआ कहा है कि आरोप लगाने वाला और आरोपों का सामना करने वाला दोनों में से कोई भी सोशल मीडिया पर एक दूसरे की पहचान उजागर न करे। दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की एक पीठ ने दोनों पक्षों को इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से बचने एवं सोशल मीडिया पर इसमें शामिल लोगों की पहचान उजागर न करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने निर्देश दिया कि वे अंतर-विवाद के संबंध में मीडिया संगठनों को साक्षात्कार न दें और इस मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष को उनकी राय के सोशल मीडिया पर प्रसारित करने से भी रोके। यह आदेश उन व्यक्तियों के आवेदन पर दिया गया, जिनके खिलाफ महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध महिला मामले में शामिल लोगों की पहचान उजागर कर रही है। महिला पत्रकार ने आरोप लगाया था कि एक ऑनलाइन न्यूज पोर्टल में काम के दौरान उसका यौन उत्पीड़न किया गया।