शनि देव डर के देवता नहीं मित्र भी हैं..

 खबरें अभी तक । अक्सर शनि देव की साढे साती सुनकर हम घबरा जाते हैं , कुछ बुरा होने का अंदेशा लगता है तो कुछ अच्छा होने की भी उम्मीद की जाती है। ऐसा माना जाता है की शनि देव जिस पर भी प्रसन्न होते हैं उसको सफलता तो देते हैं शनि देव पर जिदंगी के हर पहलू से अवगत भी कराते हैं।  देवता को न्याय का देवता कहा जाता है । ऐसी मान्यता है कि वह सभी के कर्मों का फल देते हैं. कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं, शनिदेव हर एक बुरे काम का फल मनुष्य को ज़रूर देते हैं। जो गलती जानकर की गई उसके लिए भी और जो अंजाने में हुई, दोनों ही गलतियों पर शनिदेव अपनी नजर रखते हैं।  इसीलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है।

हर शनिवार शनि देवता कि पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर पूजा सही तरीके से की जाए तो इससे शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है ।यहां जानिए कि हर शनिवार शनिदेव की पूजा कैसे की जाती है.

1. हर शनिवार मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने जलाएं और रखें।

2.  अगर आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं. अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें।

3. शनिदेव को तेल के साथ ही तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु भी भेंट करें।

4. भेंट के बाद शनि मंत्र या फिर शनि चालीसा का जाप करे।

5. शनि पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें. उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाएं और केला अर्पित करें।

6. शनिदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: ।

शनि देव हर व्यक्ति के लिए  समान रुप से कार्य नहीं करते हैं। न्याय  के देवता कहे जाने वाले शनि देव कर्म के आधार पर ही परिणाम देते हैं। शनि की साढे़साती से डरें नहीं बल्कि ये वक्त हमारा परिचय कई तरह संघर्षों से करवाता है।