जलेबी भतेरी खाई होंगीं पर कदे गोहाना के जलेब खाए सै…

खबरें अभी तक । जलेबी तो आप सबने सुनी होगी और खाई भी होगी पर कभी जलेब खाए क्या……जी हां, गोहाना म्ह जलेबी नहीं जलेब मिलै सै अर इन्हें कह्या करैं मातू राम के जलेब…..। सोनीपत जिले की गोहाना तहसील में लाला मातूराम की दुकान हरियाणा  में ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। दूर -दराज से आने वाले लोग इन जलेबियों का स्वाद जरुर चख कर जाते हैं आखिर गोहाना के जलेब भी किसे और डिश तै कम सै के…

जलेबी वो रसीली चीज है, जिसका नाम जुबान पर आते ही मुंह में पानी भर आता है और बात जब लाला मातूराम हलवाई के नाम से ब्रांड बन चुकी गोहाना की जलेबी की हो रही तो फिर कहना ही क्या। इस जलेबी को खाने के एक महीने बाद भी आप अपनी उंगलियां चाटते फिरेंगे।

शुद्ध देसी घी से बनती है 250 ग्राम की एक जलेबी…

– लाला मातूराम की जलेबी कोई सामान्य जलेबी नहीं है, बल्कि हर तरीके से अन्य जलेबियों से अलग और विशिष्ट गुणों से भरपूर है।
– इस जलेबी का वजन 250 ग्राम होता है और आकार तो तीन-चार गुना बड़ा होता है। इससे भी बड़ी बात यह कि यह जलेबी एकदम शुद्ध देसी घी में तैयार की जाती है। साथ ही इसमें किसी प्रकार का कोई रंग या पदार्थ या रसायन बिल्कुल भी नहीं डाला जाता।
– बड़े आकार की जलेबी ज्यादा समय तक गरम रहती है, वह महीनेभर तक खराब भी नहीं होती है, उसमें करारापन अपेक्षानुरूप ज्यादा होता है और नरम होती भी है। यानि एक बार आप इस जलेबी का स्वाद चख लेेंगे तो इसके कायल हो जाएंगे।

जलेबी का स्वाद चख लेेंगे तो इसके कायल हो जाएंगे।
ये है खास जेलबी के स्वाद का इतिहास
– लाला मातूराम मूलरूप से सोनीपत जिले के गांव लाठ-जौली के निवासी थे। उनका पैतृक व्यवसाय कृषि था, लेकिन वे हलवाई का काम करते थे। वह ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे, लेकिन उर्दू में पढ़ाई-लिखाई और मुनीमी काम आसानी से कर लेते थे।
– उनके पांच लड़के राजेन्द्र  गुप्ता, आनंद गुप्ता,  ओपी गुप्ता, रमेश गुप्ता और विजय गुप्ता के अलावा दो लड़कियां वीना गुप्ता और प्रेववती गुप्ता थे। लाला मातूराम हलवाई के रूप में दूर-दूर तक मशहूर थे। हर कोई शादी, समारोह में लाला मातूराम हलवाई से ही मिठाइयां बनवाता था। उनके मिठाई बनाने का जादूई हुनर लोगों के सिर चढ़कर बोलता था।
– इसी बीच 1955 में लाला मातूराम गांव से निकलकर गोहाना कस्बे में आ गए। उस समय गोहाना कस्बा रोहतक जिले में आता था। यहां आकर उन्होंने पुरानी मंडी में एक लकड़ी का खोखा तैयार किया और उसमें ‘जलेबी’ बनाने व बेचने का काम शुरू कर दिया।
– फिर 1968 में मंडी में सरकार द्वारा आधा दर्जनभर दुकानें बनाईं गईं और उन्हें व्यापारियों को 100 साल के लिए पट्टे पर दे दिया गया। सौभाग्यवश इनमें से एक दुकान लाला मातूराम को भी मिल गई। फिर तो लोगों को लाला मातूराम की जलेबी एक सुनिश्चित स्थान पर सहज, सुलभ होने लगीं और दूर-दराज से लोगों का तांता लगने लगा।
– 1970 में लाला जी के इस व्यवसाय में उनके बड़े लड़के राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने हाथ बंटाना शुरू कर दिया और इस कला को जीवन्त बनाए रखने का संकल्प लिया।
– लाला मातूराम जीवनभर की अपनी अनूठी कला, मेहनत एवं लगन के बलबूते जलेबी से हासिल की हुई प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा को ‘विरासत’ के रूप में वर्ष 1987 में अपने इसी बड़े बेटे को सौंपकर स्वर्ग सिधार गए।
– गोहाना के फव्वारा चौक स्थित अपनी दुकान पर बैठे आनंद गुप्ता बताते हैं कि उनके बड़े भाई राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने अपने पिता की इस प्रसिद्ध जलेबी की कला और विरासत को न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि अपने दृढ़ संकल्प और असीम लगन के बलबूत उसे देश की सीमाओं के पार दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा दिया।
– आज राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के अलावा गोहाना में लाला मातूराम के नाम से कई दुकानें हैं, वहीं अब तो आसपास के शहरों में भी उन्हीं के नाम से जलेबियां बेची जाती हैं। बावजूद इसके गोहाना का अपना नाम है।
– कोई पाकिस्तान, चीन, जापान, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मलेशिया, सऊदी अरब या अन्य दूर देश में रहने वाला भी अगर गोहना की तरफ चक्कर लगाता है तो वह मातू राम की जलेबियां अपनों के लिए ले जाना नहीं भूलता।
परवेज मुशर्रफ भी चख चुके हैं गोहाना की जलेबी
– बरसों पहले आगरा आए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला द्वारा सम्मान एवं उपहार के तौर पर गोहाना (सोनीपत) से भिजवाए गए लाला मातूराम जलेबी के 50 डिब्बे पाकर अत्यन्त हर्षित हुए थे।
– पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल तो लाला मातूराम की जलेबी के इस कद्र दीवाने थे कि वे जब भी मौका मिलता एक किलो जलेबी जरूर खाते थे।
– मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर, उनके मंत्री ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा एवं उनकी पत्नी आशा हुड्डा के साथ-साथ पूरा हुड्डा परिवार मातूराम की जलेबी का मुरीद है।
हर मेले में छा जाती है गोहाना की जलेबी
– विश्व व्यापार मेले (ट्रेड फेयर) के हरियाणा मण्डप में, हरियाणा में लगे सूरजकूण्ड मेले व चंडीगढ़ में के कलाग्राम में लाला मातूराम की जलेबी का स्टॉल विशेष तौर पर शामिल किया जाता है। इतना ही नहीं हरियाणा-पंजाब व आसपास के राज्यों में भी जब विशेष मेले लगते हैं तो इन जेलबियों का स्वाद लोगों को अपनी तरफ खींच लाता है।
तो आप जब भी सोनीपत जिले में आएं तो गोहाना के ये जलेब खाना ना भूलिएगा।