बंगाल में 3 दिन में ढहा एक और पुल, ममता की सरकार पर उठे सवाल

खबरें अभी तक। पश्चिम बंगाल में बीते तीन दिनों में राज्य में पुल ढहने की लगातार दूसरी घटना सामने आई है. बताया जा रहा है कि इस घटना में किसी की जान नहीं गई है. इन दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा. लगातार पुल के ढहने पर अब राज्य में राजनीति भी शुरू हो गई है. राज्यपाल ने कहा कि मामले की जांच होने दें।

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आपको बता दें कि उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी के समीप शुक्रवार को एक पुराना पुल ढहने से एक ट्रक चालक घायल हो गया. बताया जा रहा है कि सिलीगुड़ी के निकट सुबह करीब साढ़े 9 बजे पुल के बीच का हिस्सा नहर में गिर गया. इस घटना के वक्त पुल से एक ट्रक गुजर रहा था जो पुल के टूटे हिस्से में फंस गया. बता दें कि यह पुल मानगंज और फांसीदेवा इलाकों को उत्तर बंगाल के प्रमुख शहर सिलीगुड़ी से जोड़ता है. फांसीदेवा सिलीगुड़ी से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है.

पुल गिरने की एक के बाद एक घटना पर सवाल किए जाने पर राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने पत्रकारों से कहा, ‘मामले की जांच होने दें। वहीं इस पूरी घटना पर उत्तर बंगाल के विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने कहा, ‘सामान से लदे ट्रकों की इस पुल पर आवाजाही प्रतिबंधित है, लेकिन उत्तरपूर्वी राज्यों की ओर से आए ऐसे कई वाहनों को इस पुल पर देखा जा सकता था. यह हादसा उसी का परिणाम है. उन्होंने कहा कि उक्त पुल बहुत पुराना था, उस ढांचे से संबंधित दस्तावेज भी मौजूद नहीं हैं. लोक निर्माण विभाग (PWD) इस बारे में रिपोर्ट तैयार कर रहा है जिसके बाद मरम्मत का काम किया जाएगा।

पर्यटन मंत्री गौतम देब ने इस घटना पर कहा कि पुल की देखरेख सीपीआई नीत वाम दल द्वारा संचालित सिलीगुड़ी महाकुमा परिषद करती थी. उन्होंने कहा, ‘इसकी रिपोर्ट मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दूंगा. पश्चिम बंगाल के प्रदेश सचिव सूर्या कांत मिश्रा ने कोलकाता में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ‘दूसरों पर आरोप लगाना बंद कर पुराने पुलों के मरम्मत और रखरखाव की दिशा में कदम उठाए। उन्होंने कहा, ‘वाम मोर्चे ने अपने 34वें शासनकाल के दौरान कई पुल और फ्लाइओवर बनवाए थे. अब, जो लोग शासन में हैं यह उनकी जिम्मेदारी है कि वह इसकी मरम्मत और रखरखाव का कार्य करे. तृणमूल अपनी विफलता को छुपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगा रही है।

दार्जीलिंग जिले से सीपीआई के वरिष्ठ नेता जिबेश सरकार ने आरोप लगाया कि पुल की मरम्मत करने के अनुरोधों को तृणमूल कांग्रेस सरकार और जिला प्रशासन ने नजरंदाज किया. उन्होंने कहा, ‘हमने राज्य तथा स्थानीय प्रशासन को बताया था कि इसकी मरम्मत करने की जरूरत है, लेकिन यह वामदल के नेतृत्व वाली महाकुमा परिषद है इसलिए सरकार ने पैसा जारी नहीं किया।

इससे पहले 11 अगस्त को फांसीदेवा में भी एक फ्लाईओवर ढह गया था लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ था. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा था कि देशभर में पुलों का सर्वे किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि कोलकाता में और इर्द-गिर्द के इलाकों में ऐसे 20 पुल हैं जो अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। बता दें कि बीते 3 दिन में राज्य में पुल ढहने की यह दूसरी घटना है. इससे पहले 4 सितंबर को दक्षिण कोलकाता में माझेरहाट पुल ढह गया था. उस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि 24 अन्य लोग घायल हो गए थे।