मनरेगा में काम तो किया लेकिन एक साल से नहीं हुआ भुगतान

खबरें अभी तक। कहते हैं मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी उसको मिल जानी चाहिए ,ये बातें कहने में अच्छि लगती हैं ,महात्मा गांधी ग्रामीण गरंटी योजना देश के गरीबों के लिए सबसे बड़ी योजना साबित हुई थी और हर परिवार के एक सदस्य को काम दिया जाने लगा था। इस योजना के तहत हर पंचायत में 15 दिनों के भीतर कार्य उपलब्ध करवाया जाता हैं साथ ही काम ना मिलने पे भत्ता देने पड़ता हैं।

हर साल हर परिवार को 100 दिन का रोजगार सरकार ने सुनिश्चित किया हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के चम्बा ज़िला की कोहॉल पंचायत में ऐसे भी मजदूर हैं जिनकी मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं हुआ हैं एक साल पहले लोगों मनरेगा में काम तो किया लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उक्त गाँव के लोगों को उनकी मजदूरी का भुगतान करना शायद सरकार भूल गयी हैं जिससे गरीब लोगो को अपने चूल्हे जलाना भी मुश्किल हो रहा हैं जगह जगह हाथ पैर मारने के बाबजूद भी  ये लोग अब खमोश हैं ।

तीन दर्जन से अधिक लोगों की मजदुरी का भुगताँ सरकार कब करवाएगी कोई नहीं जानता इन तीन दर्जन से अधिक लोगों के हर व्यक्ति को तीन से चार हजार लेने को हैं लेकिन इतना लंबा अरसा अपनी मेहनत के लिए लग जाए तो हैरानी तो होगी ही ।

वहीँ दूसरी तरफ कोहॉल पंचायत के मनरेगा मजदूरों का कहना हैं कि एक साल पहले हमने काम किया था लेकिन अभी तक हमारी मजदूरी का भुगताँ नहीं हिण हैं हम काम इसलिए करते है ताकि हमारा परिवार का लालन पालन हो सके लेकिन तहँ बहुत मुश्किल हो गया है जगह जगह हाथ लेर मारने के बाबजूद कुछ हासिल नहीं हुआ

वहीँ दूसरी तरफ बीडीओ तीसा बबनेश  कुमार का कहना है। कि कुछ मनरेगा मजदूरों की पैमेंट उनके खाते में नहीं पड़ रही हैं इसका बड़ा कारण ये हैं कि उनके खाते पोस्ट ऑफिस में है ऐसे में परेशांनी हो रही है इस बारे में डीसी चम्बा और पीओ डीआरडीए को भी अवगत करवाया गया हैं आज फिर हमने लेटर भेजा हैं ताकि उन मजदूरों की पेमेंट उनके खाते में दल जाए ।