कन्नौज में बाढ़ पीड़ितों से सहायता के नाम पर किया जा रहा भद्दा मज़ाक

ख़बरें अभी तक। प्रदेश की योगी सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को हर संभव राहत पहुंचाने के लिए बाढ़ ग्रस्त इलाकों के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए है, लेकिन बावजूद जमीन पर अधिकारी राहत के नाम पर बाढ़ पीड़ितों के साथ भद्दा मजाक कर रहे है। ताजा मामला कन्नौज जिले में देखने को मिला यहां बाढ़ पीड़ितों ने आरोप लगाया की स्थानीय लेखपाल ने अपने चहेतों के नाम लिस्ट में शामिल कर उनको डीएम के हांथो राहत सामग्री बंटवा दी। जो सच में बाढ़ पीड़ित थे उनमे अधिकांश राहत से वंचित रह गए।

70 साल की उम्र हाथ में लाठी का सहारा लेकर बाढ़ से बचने के लिए खुले आसमान के नीचे सड़क किनारे पन्नी छाए रह रहे राधेश्याम को उम्मीद थी की अधिकारी आएंगे और उसकी मुसीबत को देखकर मदद करेंगे। अधिकारी आये थी लोगो को राशन बांटा भी लेकिन बुजुर्ग बाढ़ पीड़ित राधेश्याम को कुछ नहीं मिला। इतना ही नहीं वहां कई ऐसे बाढ़ पीड़ित थे तो सिर्फ आसरा लगाते रह गए और राशन कोई और ले गया। बाढ़ पीड़ितों ने लेखपाल राम सजीवन पर आरोप लगाते हुए कहा उन्होंने कई बार कहा जांच कर ले उनका घर बाढ़ में डूब गया लेकिन लेखपाल ने उनकी एक न सुनी। लेखपाल ने डीएम को गुमराह कर पक्के मकान में रहने वाले को राहत सामग्री बटवा दी। आसमान से बारिश और जमीन पर बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे बाढ़ पीड़ितों के आगे रहने खाने के लाले पड़े हुए है।

दरअसल कन्नौज जिले के कासिमपुर व बक्शीपुरवा गांव में बाढ़ से स्तिथ काफी ख़राब है घरो में पानी घुसा हुवा है लोगो पानी के अंदर रहने को मजबूर है बाढ़ पीड़ितों की माने तो प्रसाशन ने उनके रहने खाने का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया खानापूर्ति के लिए कुछ लोगो को पॉलीथिन देकर उनको सड़क किनारे रहने को कह दिया। भारी वाहन के डर से बाढ़ पीड़ितों ने सड़क पर रहने से मना कर दिया तो जिले अधिकारीयों ने उनको राहत सामग्री नहीं दी। बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुब्रत पाठक ने राहत सामग्री बांट कर अपनी पीठ थपथपा कर चले गए। डीएम रवींद्र कुमार भी बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटकर खुश नजर आये लेकिन जिन बाढ़ पीड़ितों को सच में जरुरत थी उनको डीएम साहेब भी गुमराह होने के कारण राहत सामग्री नहीं दे पाए।