बाढ़ में अपना सब कुछ खो चुके पीड़ित परिवार ने सरकार से की आर्थिक सहायता की मांग

खबरें अभी तक। बाढ़ रूपी बारिश का कहर तो थम गया है, लेकिन इस परिवार के आंखों के आंसु थमने का नाम ही नही ले रहे है। जिनका सब कुछ बारिश के पानी की भेंट चढ़ गया। इस परिवार के अरमान पानी में बहते रहें लेकिन परिवार के बड़े अपने बच्चों की जान बचाने में जुटा रहा। किसी तरह बच्चों को घर की छत तक पहुंचाया गया तब कहीं जाकर इस कहर से बच्चों की जान बचाई गई।

अब ना इनके पास खाने को है ना कुछ बनाने को। अब पड़ोस के निवाले खाकर जिंदा है ये पीड़ित परिवार। अब इन्हें प्रशासन से एक उम्मीद है कि उनकी आर्थिक मदद करें ताकि इस पीड़ित परिवार में खुशियां फिर से लौट सकें।

पीड़ित परिवार की माने तो सुबह के समय पूरा परिवार एक साथ बैठकर चाय नाश्ता कर रहा था। तभी देखते-देखते जोरदार बरसात होने और चंद मिनटों में ही पूरा मकान पानी से लबालब भर गया जैसे मानों घर ने तालाब का रूप ले लिया हो। जो परिवार सुबह की चाय पी रहा था उस घर से चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंजने लगी।

देखते ही देखते घर में एकत्रित सपनों का सामान पानी में बहने लगा। परिवार के बड़ो ने सामान को छोड़ मासूम बच्चों को बचाने में जुट गया। किसी तरह पीड़ित परिवार ने मासूम बच्चों को घर की छत पर लेजाकर सुरक्षित किया तब कहीं जाकर उनकी सांस में सांस आई। लेकिन तब तक उनके अरमान पानी में समाहित हो गया था। छोटे मासूमों के अलावा पढ़ने वाली बेटियां भी है। जिनकी महंगी किताबें पानी की भेंट चढ़ गई। अब किताबे ख़रीदने की गुंजाईश भी नहीं है।

इन बेटियों ने अब सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है ताकि उनकी शिक्षा आगे जारी रहे। अब देखना होगा कि जो सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दें रही है क्या वह इन बेटियों की मदद के लिए आगे आएगी या फिर नारा दिखावा बनकर रह जायेगा।